चंद्रमा का अर्द्धव्यास 1,740KM है। चांद-पृथ्वी की औसत दूरी 3,84,400 किमी है। इसमें धरती जैसे 30 ग्रह समा सकते हैं।
चंद्रयान 3 से पहले अब तक चांद पर 100 से ज्यादा स्पेसक्राफ्ट धरती से भेजे जा चुके हैं।
अब तक 24 अंतरिक्ष यात्री चांद पर जा चुके हैं। इनमें से 12 चांद की सतह पर चल चुके हैं। पहली बार 1969, आखिरी बार 1972 मानव चांद पर गया।
पृथ्वी से चांद पर जाने वाले 24 अंतरिक्ष यात्रियों में से 3 ऐसे थे, जो दो बार चंद्रमा तक जा चुके हैं।
अब तक सिर्फ अमेरिका ने ही चांद पर मानव मिशन भेजा है। चांद पर उतरने वाले सभी 12 लोग और यात्रा करने वाले कुल 24 लोग अमेरिका के ही रहे हैं।
चांद पर कोई मिशन भेजना काफी महंगा है और मानव को भेजना और भी ज्यादा महंगा। इसलिए मानव मिशन 1972 के बाद नहीं भेजा गया है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, चांद हमारी जलवायु को स्थिर बनाने में मदद करता है। इसकी वजह से समुद्र में ज्वार उठता है। किसी पिंड के टकराने से चांद की उत्पत्ति हुई थी।
गैलीलियो ने 400 साल पहले टेलिस्कोप से चांद को देखा था। वह बिल्कुल धरती की तरह दिखती है। चांद पर भी धरती की तरह ही पहाड़ और घाटियां हैं।
वैज्ञानिकों के अनुसार, चांद पर इतने गहरे गड्ढे हैं कि धरती का सबसे ऊंचा पर्वत माउंट एवरेस्ट भी इसमें समा सकता है। इनकी गहराई 30 हजार फीट से भी ज्यादा है।