खगोलविदों के अनुसार, हर साल चंद्रमा धरती से करीब 3.8 सेमी दूर हो जाता है। इसका कारण अंतरिक्ष में हैवी प्लैटनरी बॉडीज है।
खगोलविदों के मुताबिक, गैलेक्सी में हर ग्रह का अपना संतुलन होता है। सभी एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं। इसी कारण से चंद्रमा धरती से दूर होता जा रहा है।
पृथ्वी से चांद के दूर होने की प्रक्रिया करोड़ों सालों से चल रही है लेकिन खगोलविदों को इसकी जानकारी करीब 60 साल पहले तब हुई थी।
शोध के मुताबिक, अभी चंद्रमा पृथ्वी से करीब 3,84,400 किमी दूर है। 245 करोड़ साल पहले दोनों के बीच की दूरी 3 लाख 21 हजार 869 किमी थी।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, धरती के सौरमंडल में लंबे समय से चंद्रमा दूर खिसक रहा है। इस कारण दिन ज्यादा बड़े होने लगे हैं।
खगोलविदों का अनुमान है कि 245 करोड़ साल पहले एक दिन सिर्फ 16.9 घंटे का होता था। चांद की दूरी बढ़ी तो यह 24 घंटे का हो गया है।
चंद्रमा की बढ़ती दूरी से धरती पर रहने वाले जीव-जंतु, इंसान, वनस्पति के जीवन पर अभी कोई फर्क नहीं पड़ रहा है लेकिन लाखों साल बाद असर दिख सकता है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, धरती के ऑर्बिट में बदलाव होने से आने वाली सूर्य की रोशनी पर असर पड़ता है। इसी से पता चला था चांद धीरे-धीरे दूर हो रहा है।
अगर चंद्रमा पर कोई निशान बना दे तो दूरी बढ़ने के साथ भी वह 10 मिलियन साल तक दिखाई देगा। क्योंकि चांद पर कोई क्षरण जल्दी नहीं होता है।