आज से दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स सम्मेलन शुरू हो रहा है। ब्राजील, रूस, इंडिया, चीन और दक्षिण अफ्रीका इसके सदस्य हैं। जानें चीन-रूस के लिए इस संगठन के क्या मायने हैं...
BRICS संगठन को चीन और रूस ने दुनिया में अमेरिकी प्रभाव का सामना करने के लिए बनाया था। दुनिया की GDP में 23 फीसदी और जनसंख्या में 42 फीसदी भागीदारी इस संगठन के देशों की है।
BRICS द्वारा वैश्विक मामलों में पश्चिमी देशों के आर्थिक प्रभुत्व को कम करने की कोशिश की जाती है। इस संगठन के किसी भी देश ने यूक्रेन के साथ जंग के लिए रूस पर प्रतिबंध नहीं लगाया है।
2009 में लॉन्च होने के बाद से BRICS का प्रभाव बढ़ रहा है। 23 देशों ने इसमें शामिल होने के लिए आवेदन किया है। यह उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के समूह के रूप में सामने आ रहा है।
ब्रिक्स विश्व बैंक और IMF जैसे संगठनों के विकल्प पर काम कर रहा है। यह दुनिया में आर्थिक और राजनीतिक संतुलन के साथ बहुध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था को बढ़ावा देता है।
ब्रिक्स समूह ने 2015 में न्यू डेवलपमेंट बैंक बनाया था। इसका उद्देश्य विश्व बैंक और आईएमएफ का विकल्प पेश करना है। इसका मुख्यालय चीन के शंघाई में है।
ब्रिक्स समूह के देश डॉलर की जगह अपनी मुद्राओं में आपसी कारोबार को बढ़ावा दे रहे हैं। इसके पांच देश वैश्विक व्यापार में 18 फीसदी हिस्सेदारी रखते हैं।