फ्रांस दुनिया का पहला देश बन गया है, जहां महिलाओं को गर्भपात का संवैधानिक अधिकार दिया गया है। वहां के संविधान में गर्भपात के अधिकार को शामिल कर लिया गया है।
फ्रांस की महिला अधिकार समूहों ने सरकार के इस कदम की तारीफ करते हुए इसे ऐतिहासिक कदम बताया, जबकि गर्भपात विरोधी समूहों ने इस कदम पर नाराजगी भी जाहिर की है।
फ्रांस के संयुक्त सदन में गर्भपात के अधिकार से जुड़े विधेयक पर वोटिंग हुई। पक्ष में 780, विपक्ष में 72 वोट पड़े हैं। गर्भपात अधिकार कार्यकर्ता सेंट्रल पेरिस में जुटकर समर्थन किया।
फ्रांस के संसद स्पीकर ने इस फैसले पर खुशी जताते हुए कहा कि 'मुझे संसद पर गर्व है, जिसने गर्भपात के अधिकार को मूल कानून में शामिल किया। हम ऐसा करने वाले पहले देश हैं।'
राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने इस पर खुशी जताते हुए कहा कि, 'हमने महिलाओं को गर्भपात का संवैधानिक अधिकार देने का वादा किया था और अब इसे पूरा कर दिया है।'
फ्रांस की 80% आबादी गर्भपात के समर्थन में है। बाकी देशों की तुलना में फ्रांस में गर्भपात के अधिकारों को लेकर काफी जागरूकता है। पोल्स में भी 80 प्रतिशत लोगों ने इसका समर्थन किया है।
फ्रांस के प्रधानमंत्री गैब्रिएल अत्तल ने महिलाओं से कहा कि 'शरीर आपका है और इसके साथ क्या करना है, इसका फैसला कोई और नहीं करेगा।'
फ्रांस की संसद में पहले ही संविधान के अनुच्छेद 34 में संशोधन के लिए विधेयक को मंजूरी दी थी, ताकि महिलाओं को गर्भपात के अधिकार की गारंटी मिल सके।