यहूदी संप्रदाय की की संस्कृति में शादी की कई रस्में दूसरे धर्मों से मिलती है। क्योंकि 18वीं-19वीं सदी तक यहूदी धर्म और संस्कृति में विभिन्न परंपराएं और रिवाज अपनाई गई।
यहूदी धर्म में शादी एक करार यानी कॉन्ट्रैक्ट मैरिज होती है। जिसके लिए कोई मुहूर्त नहीं होता है। हालांकि, रविवार के दिन इस रस्म को पूरा किया जाता है।
यहूदियों में गवाहों की मौजूदगी में दूल्हा और दुल्हन एक दूसरे को स्वीकार करते हैं। जीवनभर साथ निभाने का वादा करते हैं। हिंदू धर्म में सगाई की तरह शादी में अंगूठी पहनाने की रस्म है।
यहूदी संस्कृति में शादी को किड्डुशिन कहते हैं। यहूदियों में शादी से पहले मिलने की परंपरा भी निभाई जाती है, जिसे योम किप्पुर विद्दुई कहा जाता है।
यहूदी धर्म में शादी से पहले लड़का लड़की कन्फेशनल प्रार्थना में शामिल होते हैं और पुरानी जिंदगी की सभी गलतियों की माफी मांग नई जिंदगी में वफादार रहने की कसमें खाते हैं।
यहूदियों के विवाह में चुप्पाह मंडप को कहते हैं। शादी की ज्यादातर रस्में चुप्पाह में होती हैं। इसी में दूल्हा दुल्हन 4 से 7 बार चक्कर लगाते हैं। बाइबिल में 7 चक्कर की अवधारणा है।
यहूदी शादी में आखिरी में दूल्हा दुल्हन की दाहिनी तर्जनी पर अंगूठी रखता है। पारंपरिक यहूदी कानून कहता है कि दो वैध गवाह को अंगूठी डालते हुए देखना चाहिए। फिर करारनामा पढ़ा जाता है।
दुल्हन की अंगूठी देने के बाद आखिरी में दूल्हा एक गिलास तोड़ता है और उसे अपने दाहिने पैर से कुचलता है। मेहमान 'मज़ल तोव!' का उच्चारण कर हिब्रू में बधाई देते हैं।
यहूदी दूल्हे-दु्ल्हन को पीने में शराब दिया जाता है। कई लोग शराब को होंठों से लगाते हैं। हफ्तेभर बाद मेहमान को भोज देते हैं। इसे शेवा ब्रकोट कहते हैं, जिसमें खास डांस होता है।