ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह खामेनेई 16 सितंबर को एक्स पर पोस्ट कर कहा- 'दुनिया के मुस्लिमों को भारत, गाजा और म्यांमार के मुस्लिमों की तकलीफ से अनजान नहीं रहना चाहिए।'
विदेश मंत्रालय ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा- खामेनेई अपना रिकॉर्ड देखें। भारत उनके बयान की निंदा करता है। इसे स्वीकार नहीं कर सकते हैं। यह पूरी तरह भ्रामक है।
2020 के दिल्ली दंगों के बाद आयतुल्लाह अली खामेनेई का पयान आया था। इससे पहले कश्मीर के मुद्दे पर भी कई बार विवादित बयान दे चुका है। 2017 में कश्मीर की तुलना गाजा, यमन, बहरीन से की।
1989 में खामेनेई ने कहा कि वह सु्प्रीम लीडर लायक नहीं है लेकिन ईरान के पहले सु्प्रीम लीडर आयतुल्लाह खुमैनी की मौत के बाद वह इस पद पर आया और 35 साल से ईरान का सर्वोच्च नेता है।
ईरान में 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद से महिलाओं को हिजाब पहनना अनिवार्य है। उन्हें बाल ढककर रहना पड़ता है। अली खामेनेई कहता है कि यह महिलाओं को ज्यादा कीमती बनाता है।
ईरान में टाई पहनना शरिया कानून के खिलाफ है। सुप्रीम लीडर ने इसके खिलाफ फतवे जारी कर रखा है। खामेनेई का कहना है कि टाई गैर-मुस्लिम है, इसे पहनना पश्चिमी कल्चर को बढ़वा देना है।
ईरान के अस्पतालों में काम करने वाले डॉक्टर-नर्सों के ज्यादा मेकअप के खिलाफ भी फतवा जारी है। ऐसा करना अपराध माना जाता है और इसकी कड़ी सजा मिल सकती है।
ईरान में संगीत पर पाबंदी है। खामेनेई कहता है कि 'संगीत इस्लामिक देश के मूल्यों से मेल नहीं खाता। इसका इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। संगीत हलाल है,लेकिन इसे बढ़ावा देना इस्लाम के खिलाफ'
पिछले साल 2023 में ईरान में सुप्रीम लीडर ने AI के खिलाफ फतवा जारी किया। एआई को सैटेनिक यानी शैतानी बताया। ईरान में AI का इस्तेमाल करने पर सजा-ए-मौत का फरमान जारी किया गया।