ईरान ने रविवार रात इजरायल पर हमला किया। उसने 300 से अधिक ड्रोन, बैलिस्टिक मिसाइल और क्रूज मिसाइल दागें। इसके बाद भी इजरायल को बड़ा नुकसान नहीं हुआ। उसने खुद को बचा लिया।
क्या आगे भी ईरान हजारों मिसाइल मारकर भी इजरायल को तबाह नहीं कर पाएगा? इसका जवाब लगभग हां है। आइए इसकी वजह पर नजर डालते हैं और रविवार को हुए हमले को देखते हैं।
पिछले साल गाजा से इजरायल पर अटैक किया गया तो उसका एयर डिफेंस सिस्टम नाकाम हो गया था, लेकिन ईरान के मामले में ऐसा नहीं हुआ। इसकी वजह दूरी और संख्या है।
गाजा इजरायल के बगल में है। यहां से अटैक करने पर रॉकेट को चंद किलोमीटर ही जाना होता है। हमास ने एक साथ हजारों रॉकेट दागे थे। सभी को इजरायली एयर डिफेंस सिस्टम आयरन डोम रोक नहीं पाया।
ईरान से इजरायल की दूरी 1700km से अधिक है। ईरान अपनी जमीन से किसी मिसाइल या ड्रोन को लॉन्च करता है तो उसे लंबा सफर तय कर इजरायल पहुंचना होता है। इससे इजरायल को बचने का समय मिलता है।
ईरान के पास बेहद तेज रफ्तार वाले मिसाइल या ड्रोन नहीं हैं। दूसरी ओर उसके आसपास अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन के बहुत अधिक बेस हैं। ईरान पर हर वक्त नजर रखी जाती है।
ईरान के पास ऐसी वायुसेना नहीं है कि उसके लड़ाकू विमान इजरायल जाकर हमला कर सके। रास्ते में उनका सामना अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन के साथ ही इजरायली एयरफोर्स से भी होगा।
ईरान द्वारा दागे गए मिसाइल-ड्रोन को इजरायल और उसके सहयोगी रास्ते में नष्ट कर रहे हैं। अगर कोई इजरायल के जमीन के पास पहुंच जाए तो उसके पास बेहद सक्षम एयर डिफेंस सिस्टम हैं।
इजरायल ने कहा है कि रविवार को ईरान द्वारा दागे गए 300 से अधिक ड्रोन और मिसाइलों में से 99% को उसने और उसके सहयोगी देशों ने रास्ते में ही खत्म कर दिया।
ईरान ने इजरायल पर करीब 170 ड्रोन, 30 से अधिक क्रूज मिसाइल और 120 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइल से हमला किया था। इजरायल तक चंद बैलिस्टिक मिसाइल पहुंच सके।
US नेवी के जहाज और फाइटर जेट ने 70 से अधिक ड्रोन और 3 बैलिस्टिक मिसाइल को हवा में खत्म किया। इजरायल ने F-35I समेत अन्य लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल मिसाइल और ड्रोन को रोकने में किया।
ईरान के आसपास अमेरिकी सेना की भारी मौजूदगी है। कतर, बहरीन, कुवैत, सऊदी अरब, यूएई, सीरिया, इराक और जॉर्डन में अमेरिकी अड्डे हैं। यूएस ने 2 एयर क्राफ्ट कैरियर को तैनात किया हुआ है।
इजरायल पर सफल हवाई हमला करने के लिए ईरान को इजरायल के साथ ही अमेरिका, यूके और फ्रांस के भी एयर डिफेंस सिस्टम और लड़ाकू विमानों से पार पाना होगा। वर्तमान स्थिति में यह बहुत कठिन है।