इजराइल और हमास के बीच युद्ध के 64 दिन बीतने जा रहे हैं। अभी तक कोई परिणाम सामने नहीं आया है। बीच में 6 दिनों का सीजफायर किया गया था लेकिन फिर से जंग चालू हो गया है।
रिपोर्ट्स की मानें तो इजराइल रिमोट और ऑटोनॉमस सिस्टम का प्रयोग कर रहा है, ताकि उनकी फोर्स की ताकत बढ़ सके। इससे सैनिकों की जान भी बच रही है और ज्यादा इंपैक्ट भी पड़ रहा है।
ऐसी खबरें हैं कि इजराइल डिफेंस फोर्सेस आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) का प्रयोग कर रही। वे गाजा पट्टी में अपने टारगेट को सेट करने के लिए AI का प्रयोग कर रहे हैं।
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को इजराइल की हिब्रू भाषा में हब्सोरा करते हैं। इसे द गोस्पेल के नाम से भी जाना जाता है। यह तकनीक अपनाकर इजराइल बमबारी के लिए टार्गेट सेट कर रहा है।
इजराइल द्वारा AI तकनीक का प्रयोग करने से यह बात तेजी से चर्चा में आ गई है कि क्या यह भविष्य में होने वाले युद्ध में सबसे घातक हथियार बनने जा रहा है। क्या बाकी देश भी ऐसा करेंगे।
एक रिसर्च रिपोर्ट बताती है कि भविष्य में राजनीति से लेकर सामाजिक और कई क्षेत्रों में AI बड़े बदलाव करने वाला है। अब यह देखना है कि कौन इसका प्रयोग विकास के लिए करता है।
AI तकनीक के आने के बाद सबसे ज्यादा इसके नुकसान ही सामने आए हैं। ऐसे में यह कहा जा रहा है कि क्या यह तकनीक विनाश का कारण तो नहीं बनने जा रही है।
इजराइल डिफेंस फोर्स हमास के ठिकानों को ढूंढने, इंटेलीजेंस, सर्विलांस के लिए AI का प्रयोग कर रहा है। माना जा रहा बिना किसी मावन हस्तक्षेप के इजराइल को AI से फायदा मिल रहा है।
हमास के खिलाफ युद्ध के दौरान इजराइल OODA Loop तकनीक का भी इस्तेमाल कर रहा है। यह तकनीक युद्ध की स्पीड बढ़ा देती है। इसे ऑब्जर्व, ओरिएंट और डिसाइड करने की तकनीक कहते हैं।