कजाखस्तान में अजरबैजान एयरलाइंस का एक विमान बुधवार को हादसे का शिकार हो गया। विमान में 72 लोग सवार थे। हादसा पक्षियों के टकराने के चलते हुआ।
हवा में उड़ते विमानों के लिए पक्षी बड़ा खतरा होते हैं। इससे पहले भी पक्षियों के टकराने के चलते कई बड़े विमान हादसे हुए हैं। आइए समझते हैं विमान से पक्षी टकराने पर क्या होता है।
विमान से पक्षी के टकराने की पहली घटना 1905 में रिकॉर्ड की गई थी। विमानों की संख्या बढ़ने और पक्षियों के शहरों की ओर आकर्षित होने से ऐसी घटनाएं बढ़ गईं हैं।
पक्षियों के टकराने की 90% घटनाएं हवाई अड्डों के पास होती हैं। आम तौर पर ऐसा तब होता है जब विमान उड़ान भर रहे होते हैं या उतर रहे होते हैं।
विमानों के इंजन इस तरह डिजाइन किए जाते हैं कि पक्षी के इंजन में घुसने से पैदा होने वाले झटके को झेल सकें, लेकिन कई बार नुकसान अधिक हो जाता है।
सिंगल इंजन वाले विमानों में पक्षियों का टकराना जानलेवा हो सकता है। 1988 से अब तक पक्षियों के टकराने से 300 से अधिक मौतें हुई हैं। 250 से ज्यादा विमान नष्ट हुए हैं।
पक्षियों के झुंड को ट्रैक करने के लिए रडार का इस्तेमाल किया जाता है। यह तकनीक जमीन आधारित है और दुनिया भर में उपलब्ध नहीं है। इसलिए इसका उपयोग हर जगह नहीं होता।
ज्यादातर यात्री जेट में टर्बोफैन इंजन का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें हवा को कम्प्रेस्ड करने के लिए पंखे के ब्लेड लगाए जाते हैं।
जब पक्षी इंजन से टकराता है तो पंखे के ब्लेड को गंभीर नुकसान हो सकता है। इससे इंजन फेल तक हो सकता है। विमानों को पक्षियों के बड़े झुंड से ज्यादा खतरा रहता है।