World news
कुवैत में 7 मंजिला इमारत में आग लगने से 49 प्रवासी कामगारों की मौत हुई। इनमें से 40 भारतीय थे। हादसे में कई भारतीय घायल हुए हैं। राज्यमंत्री कीर्ति वर्धन सिंह कुवैत गए हैं।
राज्यमंत्री कीर्ति वर्धन ने घायल भारतीयों का हालचाल जाना। उन्हें भारत सरकार की ओर से हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया।
कुवैत में प्रवासी भारतीयों की संख्या 10 लाख है। भारतीय कुवैत की कुल जनसंख्या का 21 प्रतिशत और कुल वर्कफोर्स का 30 प्रतिशत हिस्सा हैं।
बढ़ई, राजमिस्त्री, घरेलू कामगार, फैब्रिकेटर, ड्राइवर और यहां तक कि भोजन पहुंचाने वाले और कूरियर डिलीवरी बॉय, बहुत हद तक, कुवैत भारतीय वर्कफोर्स पर निर्भर है।
कुवैत के सार्वजनिक नागरिक सूचना प्राधिकरण (PACI) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार दिसंबर 2023 तक कुवैत की जनसंख्या 48.59 लाख थी। इसमें 15.46 लाख नागरिक और 33 लाख प्रवासी थे।
कुवैत की कुल जनसंख्या का 61 प्रतिशत मजदूर और कर्मचारी थे। कुवैत की कुल आबादी में प्रवासियों का हिस्सा 75 प्रतिशत है। भारतीय समुदाय कुवैत में सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है।
कुवैत में भारतीय कामगारों को बेहद खराब स्थिति में रहना पड़ता है। उन्हें आधे-अधूरे बने घरों और तंग कमरों में रहना पड़ता है।
कुवैत में बढ़ई, राजमिस्त्री, ड्राइवर और पाइपफिटर 300 डॉलर प्रति माह की न्यूनतम वेतन पर काम करते हैं। भारी वाहन चालक और घरेलू कामगारों की स्थिति इससे थोड़ी बेहतर है।
भारत सरकार द्वारा 30 साल से कम की महिलाओं को गृह-सेविका, घरेलू कामगार, हेयर ड्रेसर, ब्यूटीशियन, डांसर, मंच कलाकार और मजदूर के रूप में काम करने कुवैत जाने की मंजूरी नहीं दी जाती है।
कुवैत में भारतीय मजदूरों को अक्सर अमानवीय हालात में रहना पड़ता है। काम के घंटे तय नहीं होते। तय वक्त से अधिक देर तक काम लिया जाता है। स्थानीय लोग सही व्यवहार नहीं करते।
कुवैत में कफाला सिस्टम लागू है। इसके चलते मजदूरों का शोषण होता है। यह काम देने वाले को कर्मचारी पर बहुत अधिक अधिकार देता है। एक तरह से मजदूर मालिक का गुलाम बन जाता है।
बहुत से लोग अपने यहां काम करने वाले मजदूरों का पासपोर्ट जब्त कर रखते हैं। मजदूर के पास अपनी इच्छा से काम छोड़कर घर लौटने का चारा नहीं होता। वे बंधुआ मजदूर बनाकर रखे जाते हैं।
कफाला के जरिए कुवैत की सरकार मालिक को विदेशी मजदूर बुलाने के लिए स्पॉन्सरशिप परमिट का अधिकार देती है। मालिक मजदूरों को फैक्ट्री में रखते हैं और जीतना अधिक हो सके काम लेते हैं।
कुवैत में मजदूरों के रहने के लिए अलग इमारतें बनाई जाती हैं। इन घरों के कमरे छोटे और दरवाजे-खिड़कियां तंग रहती हैं। कई लोगों को एक कमरे में रखा जाता है।