उत्तर कोरिया चीन और रूस जैसे देशों से अपनी दोस्ती गहरी कर रहा है। बावजूद इसके उसके पास पैसों की तंगी है। इसका असर उसके विदेशी दूतावासों पर देखने को मिल रहा है।
पैसों की कमी से जूझ रहा उत्तर कोरिया अब अपनी विदेशी मौजूदगी कर रहा है। तानाशाह Kim Jong Un के देश को करीब एक चौथाई राज दूतावासों को बंद करना पड़ रहा है।
जापानी न्यूज पेपर योमीउरी शिमबुन की रिपोर्ट के अनुसार, खराब अर्थव्यवस्था ने उत्तर कोरिया की कमर तोड़ दी है। यूगांडा, अंगोला, हांगकांग, स्पेन में उसके दूतावास बंद हो गए हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, इन चार देशों के अलावा करीब 8 अन्य देशों में भी उत्तर कोरियाई दूतावास बंद होने वाले हैं। ये सभी ऐसे देश हैं, जिनके संबंध उत्तर कोरिया से बेहतर थे।
उत्तर कोरिया ने परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम में महारत हासिल कर ली है। लेकिन इसके लिए उस पर कई देशों ने आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए। जिससे उसके पास विदेशी मुद्रा ही नहीं है।
विदेशी मुद्रा से दूतावास चलते हैं।उत्तर कोरिया के दूतावासों को देश से सीधे पैसे नहीं मिलते हैं। कंस्ट्रक्शन,अवैध व्यापार, तस्करी, मनी लॉन्ड्रिंग से दूतावास तक पैसे पहुंचाए जाते हैं
दक्षिण कोरियाई यूनिफिकेशन मंत्रालय ने बताया कि कड़े प्रतिबंधों के कारण उत्तर कोरिया के लिए पैसा बनाने के अवैध तरीकों पर असर पड़ा है। जिससे देश की अर्थव्यवस्था बिगड़ गई है।
इकोनॉमी धराशायी होने के बाद उत्तर कोरिया पारंपरिक दोस्तों के साथ भी राजनयिक रिश्ते नहीं बचा पा रहा है। सबसे बड़े व्यापारिक भागीदार चीन से लगने वाली सीमाओं को भी बंद करना पड़ा है।
उत्तर कोरिया का दावा है कि दूतावासों को बंद करना उसका राष्ट्रीय हित है। अंतर्राष्ट्रीय वातावरण, विदेश नीति में बदलाव के लिए राजनयिक मिशन बंद या खोल रहे हैं। पहले भी ऐसा हो चुका है।