Hindi

कुत्ते का मांस खाने से इस अमीर देश की हो रही बदनामी, लिया ऐसा फैसला

Hindi

दक्षिण कोरिया में बैन होगा कुत्ते का मांस

दक्षिण कोरिया में कुत्ते का मांस संवेदनशील विषय है। इस अमीर देश ने कुत्ते का मांस खाने से हो रही बदनामी रोकने के लिए इसपर बैन लगाने का फैसला किया है। इसके लिए कानून बनाया गया है।

Image credits: Freepik
Hindi

क्या आप कुत्ता खाते हैं?

"क्या आप कुत्ता खाते हैं?" यह सबसे विवादास्पद प्रश्नों में से एक है जिसे कोई विदेशी दक्षिण कोरिया में पूछता है। कुत्ते का मांस ज्यादातर दक्षिण कोरिया के बुजुर्ग खाते हैं।

Image credits: Freepik
Hindi

2027 तक कुत्ते के मांस पर लग जाएगी रोक

इस तरह के सवालों को रोकने के लिए दक्षिण कोरिया की सरकार ने 2027 तक मांस के लिए कुत्तों के प्रजनन, वध, वितरण और बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक नया कानून पास किया है।

Image credits: Freepik
Hindi

नए नियम को लेकर उठ रहे सवाल

नए नियम को लेकर सवाल भी उठ रहे हैं। कहा जा रहा है कि इससे सदियों पुरानी प्रथा खत्म हो जाएगी। सस्ता होने के चलते पहले दक्षिण कोरिया में अधिक लोग कुत्ता खाते थे।

Image credits: Freepik
Hindi

19वीं सदी में प्रोटीन को मुख्य स्रोत था कुत्ते का मांस

19वीं सदी में यह देश अभी की तरह अमीर नहीं था। प्रोटीन के स्रोत के रूप में कुत्ते का मांस कोरियाई लोगों के लिए अच्छे विकल्पों में से एक था। सभी वर्ग के लोग इसे खाते थे।

Image credits: Freepik
Hindi

कुत्ते के मांस को पसंद करते थे लोग

किसी भी अन्य मांस की तरह, इसके बहुत पसंद किए जाने वाले व्यंजन सामने आए। जैसे कुत्ते के मांस का सूप और उबले हुए कुत्ते के मांस के टुकड़े।

Image credits: Freepik
Hindi

बुजुर्ग करते हैं तारीफ

दक्षिण कोरिया के बुजुर्ग अभी भी इसके गुणों की तारीफ करते हैं। कहते हैं कि यह स्वादिष्ट और पचाने में आसान है। इससे ऊर्जा मिलती है।

Image credits: Freepik
Hindi

अब कम हो गई कुत्ते के मांस की खपत

दक्षिण कोरिया के समृद्ध बनने के बाद यहां के लोगों ने कुत्ते का मांस खाना कम कर दिया है। पिछले साल के गैलप पोल के अनुसार पिछले 12 महीनों में केवल 8% लोगों ने कुत्ते का मांस खाया था।

Image credits: Freepik
Hindi

3,000 कुत्ता प्रजनन फार्म कर रहे काम

यह 2015 में 27% से काफी कम है। दक्षिण कोरिया में अब लगभग 3,000 कुत्ता प्रजनन फार्म हैं। 2010 की शुरुआत में इनकी संख्या करीब 10,000 थी।

Image Credits: Freepik