यमन के हूती विद्रोहियों ने इजराइल के साथ ही अब अमेरिका, ब्रिटेन जैसी ताकतों से पंगा लेने की ठान ली है। हूतियों ने लाल सागर में कई जहाजों का अपहरण किया है।
यमन के हूति विद्रोहियों के पास आखिर ऐसी कौन-सी ताकत है कि वो इजराइल-अमेरिका से भी पंगा लेने को तैयार है। जानते हैं हूतियों के जखीरे में आखिर ऐसा क्या है?
हूतियों ने लाल सागर में अंतरराष्ट्रीय जहाजों पर ड्रोन और मिसाइल हमले किए हैं। इस दौरान बैलिस्टिक मिसाइलों का भी इस्तेमाल किया है। मतलब, हूतियों के पास मिसाइल भंडार है।
हूतियों के पास हथियार का सबसे बड़ा सोर्स यमन है। यमन के पास 1970 के दशक की स्कड और ओटीआर-21 तोचका मिसाइलें थीं। माना जाता है कि हूतियों के पास यमन के 70% हथियारों का कंट्रोल है।
इसके अलावा ईरान भी हूतियों को हथियार देने में बड़ी मदद करता है। ईरान हूतियों के लिए उन्नत मिसाइल तकनीक उपलब्ध कराता है। हूतियों के पास ऐसी कई मिसाइलें हैं, जो ईरान में बनी हैं।
हूतियों के पास ईरान में बनी मिसाइलों में बुर्कान सीरिज की बैलिस्टिक मिसाइलें, कुद्स-1 क्रूज मिसाइल, अल-मंदब-1 एंटी-शिप मिसाइल और सतह से हवा में मार करने वाली सैयद-2सी मिसाइल भी है।
हूती विद्रोही एक आतंकी संगठन है, जिसका जन्म 80 के दशक में हुए हूती आंदोलन से हुआ। हूती विद्रोही शिया जैदी समुदाय से हैं, जो यमन में अल्पसंख्यक समूह है।
हूती विद्रोहियों के संगठन का नाम हुसैन अल हूती के नाम पर है। हूती बेहद कट्टर हैं और अमेरिका-इजरायल को अपना सबसे बड़ा दुश्मन समझते हैं। हूती हमास का समर्थन करते हैं।