रूस-यूक्रेन युद्ध को करीब 2 साल हो गए हैं। कहा जा रहा है कि पीएम मोदी के यूक्रेन दौरे के बाद यह जंग समाप्त हो सकती है। इस बीच युद्ध के मैदान में यूक्रेन की महिला सैनिक डटी हैं।
1 साल पहले बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, युद्ध की विषम चुनौतियों में यूक्रेन की महिला सैनिक ताकत से लड़ रही हैं। कुछ महिला सैनिक दुश्मन के साथ खुद से हो रहे भेदभाव से लड़ रही हैं।
यूक्रेनी सशस्त्र बलों में स्पेशल यूनिट सार्जेंट आंद्रियाना आरख्ता का कहना है कि उनके खिलाफ रूसी भाषा में कई भद्दी चीजें लिखी गईं लेकिन वह आखिरी सांस तक दुश्मनों से लड़ती रहेंगी।
2014 के बाद यूक्रेनी सेना में महिलाओं की संख्या बढ़ी है। BBC रिपोर्ट के मुताबिक, रूस से लड़ने वाली महिला सैनिकों का कहना है कि उन्हें सेना में लैंगिंग रवैये से भी लड़ना पड़ रहा है।
बीबीसी रिपोर्ट के मुताबिक, सेना के फ्रंटलाइन में अहम भूमिका निभाने वालीं एवेनिया एमराल्ड कहती हैं- स्पेशल फोर्स जॉइन करने पर उनसे कहा गया- लड़की हो यहां क्या कर रही,घर जाओ-सूप पकाओ
यूक्रेनी महिला सैनिकों को मदद करने वाली संस्था'आर्म वुमेन नाउ चैरिटी' से जुड़ीं एवेनिया वेलिया बताती हैं कि 'समाज में मजबूत धारण है कि लड़कियां सेना में पति ढूंढने जाती हैं।'
बीबीसी रिपोर्ट के अनुसार, यूक्रेनी सेना में महिलाओं के पास वर्दी नहीं है। उन्हें पुरुषों के अंडरवियर, बड़े साइज वाले जूते, बुलेटफ्रूफ जैकेट जैसे पुरुष सैनिकों के कपड़े दिए जाते हैं
रिपोर्ट में बताया, यूक्रेन के तत्कालीन उप रक्षामंत्री हन्ना मलयार ने कहा था 'उनकी वर्दी पुरुष सैनिकों के लिए डिजाइन की गई है।महिला वर्दी के लिए उन्हें ऑनलाइन जेनेरिक किट लेनी होगी'