इजराइल और लेबनान के बीच अभी तक दो बार युद्ध हो चुका है। पहला 1982 में जब फिलीस्तीनी नेता लेबनान में छिपे थे। दूसरा 2006 में जब आतंकी समूह हेजबुल्लाह ने हमला किया।
सीरिया ने न सिर्फ फिलीस्तीनी आतंकियों को शरण दी बल्कि इजराइल पर हमले के लिए अपनी धरती का इस्तेमाल करने की छूट दी। तब इजराइल ने 1967 में 6 दिन का युद्ध लड़ा।
पश्चिम एशिया का सबसे बड़ा और धनी देश सउदी अरब है। यह हमेशा फिलीस्तीन का सपोर्ट करता रहा है और डिप्लोमेटिक-फाइनेंसियल सपोर्ट करता रहता है।
फिलीस्तीन का सपोर्ट करने के बावजूद सउदी अरब ने इजराइल के साथ भी रिश्ते बनाए रखा। सउदी अरब ने पहली बार इजराइल को मान्यता देने वाले एग्रीमेंट की मध्यस्थता की थी।
दूसरे पश्चिम एशियाई देशों की तरह इजिप्ट और इजराइल के बीच 2 बार युद्ध हो चुका है। इसके साथ ही इजराइल और फिलीस्तीन के बीच इजिप्ट मध्यस्थ भी लगातार बनता रहा है।
इजिप्ट गाजा बॉर्डर के उस हिस्से को शेयर करता है, जिस पर हमास का कंट्रोल है। इजिप्ट ने फिलीस्तीन में सेल्फ गवर्नेंस के लिए ग्राउंड वर्क किया था। इजिप्ट-इजराइल के रिश्ते भी ठीक नहीं।
फिलीस्तीनी आतंकवादियों को मानवीय सहायता देने वाला ओमान है। गाजा पट्टी में हमास को सपोर्ट करता है। यह देश इजराइल के साथ तो दिखता है लेकिन सपोर्ट फिलीस्तीन को करता है।
माना जाता है कि हमास के कई नेताओं ने कतर की राजधानी दोहा को बेस बनाया है। कतर हमेशा से इजराइल और फिलीस्तीन के बीच मध्यस्थता करता रहा है।
साल 2020 में यूनाइटेड अरब अमीरात तीसरा अरब देश बना जिसने इजराइल को मान्यता दी। दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध भी हैं। यूएई कई बार शांति की पहल कर चुका है।
ईरान शिया मुस्लिम देश है, जबकि बाकी के अरब देश सुन्नी मुस्लिम देश हैं। हाल ही में हमास ने जो हमला किया है, उसके पीछे ईरान का रोल भी बताया जा रहा है। इजराइल ने भी यह बात कही है।
ईराक हमेशा से इजराइल के गठन का विरोध किया है और यही वजह है कि दोनों देशों के बीच युद्ध भी हुए हैं। ईराक हमेशा फिलीस्तीनी संगठनों को ही सपोर्ट करता है।
जॉर्डन और इजराइल के बीच फुल डिप्लोमेटिक संबंध हैं। दोनों देशों के बीच 1994 में शांति समझौता भी हो चुका है। अरब देशों द्वारा इजराइल अटैक के समय जॉर्डन उनके साथ था।
हमास के हमले के बाद तुर्किए के प्रेसीडेंट एर्दोगन पहले व्यक्ति थे जिन्होंने दोनों के बीच शांति की पहल की थी। तुर्किए ने इजराइल के पलटवार का भी विरोध किया है।
इजराइल और फिलस्तीन के बीच विवाद में यमन का कोई विशेष रोल नहीं है। हालांकि यमन के हौती मिलिटेंट हमेशा से गाजा में अमेरिकी दखल का विरोध करते रहे हैं।
फिलीस्तीन के आतंकी समूह हमास ने 7 अक्टूबर 2023 को इजराइल पर हमला किया और ताबड़तोड़ 5 हजार रॉकेट दागे। यह हमला हमास के कंट्रोल वाले गाजा इलाके से किया गया।