आतंकी संगठन हमास की नींव रखने वाले शेख हसन यूसुफ के बेटे मोसाब हसन यूसुफ ने भारत के एक चैनल को दिए इंटरव्यू में कई बड़े खुलासे किए हैं।
मोसाब हसन यूसुफ ने कहा- मुसलमान कभी भी दूसरे धर्म या समुदाय के साथ नहीं रह सकते हैं, क्योंकि वो खुद ऐसा चाहते ही नहीं हैं।
मोसाब हसन ने आगे कहा- हिंदू, ईसाई, यहूदी और दूसरे मजहब साथ रह सकते हैं, तो फिर सवाल उठता है कि आखिर इस्लाम क्यों नहीं?
दुनिया में हिंसा की शुरुआत मुसलमान की तरफ से ही क्यों होती है। दुनिया में हिंदुओं, ईसाईयों और यहूदियों को किसी से कोई समस्या नहीं है। लेकिन इस्लाम को-एग्जिस्टेंस में नहीं रह सकता।
हमास और दुनिया में फैले सभी आतंकी संगठनों को खत्म करने की जरूरत है। पूरी दुनिया को इसके लिए आवाज उठानी होगी। धार्मिक आतंकवाद किसी सूरत में स्वीकार नहीं हो सकता।
मोसाब हसन के मुताबिक, मैंने इस्लामी विचारधारा को पूरी तरह से नकार दिया और हिंसा का विरोध करने के चलते मुझे बहुत कुछ सहना पड़ा, जो जीते जी मौत से कम नहीं।
मोसाब के मुताबिक, मेरे अपनों ने मुझे छोड़ दिया। मुझे शैतान कहने लगे, सिर्फ इसलिए क्योंकि मैं हिंसा, खूनखराबे और बेगुनाहों की हत्या के खिलाफ हूं।
मोसाब ने कहा- हमास जैसी आतंकी सोच को खत्म करने की जरूरत है। हम ऐसे लोगों को कबूल नहीं कर सकते, जो इस्लामिक देश बनाने के लिए पूरी मानव जाति को खत्म करने पर उतारू हैं।
मोसाब ने कहा आतंकी हर उस शख्स के साथ हिंसा करते हैं, जो उनके तौर-तरीकों को नहीं मानता। मैं हमास और इजराइल को जानता हूं और इसी आधार पर कहता हूं कि दुनिया को इजरायल के साथ आना चाहिए।