सार

कहते हैं कि हाथ-पैरों से नहीं, हौसलों से उड़ान होती है। यह तस्वीर भी यही दिखाती है। मन में अगर आशा हो, तो कुछ भी असंभव नहीं है। दुनिया में कितने प्रतिशत लोग आशावादी है, इस पर आखिर में चर्चा करेंगे, पहले इनके बारे में जान लीजिए। ये हैं बांग्लादेश के मोहम्मद हबीबुर रहमान। ये बिना हाथ के पैदा हुए हैं।

वर्ल्ड न्यूज. कहते हैं कि हाथ-पैरों से नहीं, हौसलों से उड़ान होती है। यह तस्वीर भी यही दिखाती है। मन में अगर आशा हो, तो कुछ भी असंभव नहीं है। दुनिया में कितने प्रतिशत लोग आशावादी है, इस पर आखिर में चर्चा करेंगे, पहले इनके बारे में जान लीजिए। ये हैं बांग्लादेश के मोहम्मद हबीबुर रहमान। ये बिना हाथ के पैदा हुए हैं। रहमान ने तमाम बाधाओं को पार करते हुए रविवार(6 नवंबर) को देशभर में शुरू हुई अलीम परीक्षा(ग्रेजुएशन) में बैठे। अपने पैरों से लिखते हुए 19 वर्षीय रहमान ने राजबाड़ी जिले के सिद्दीकिया फाजिल मदरसा ओम कालुखली उपजिला परीक्षा सेंटर में भाग लिया। पढ़िए क्या कहती हैं इनकी बहन...

हाथ नहीं, पर आत्मविश्वास है
रहमान ने 2018 में उसी मदरसे से ग्रेड पॉइंट एवरेज(GPA) 4.61 के साथ एंट्रेंस एग्जाम पास किया था। हबीबुर रहमान के बड़े बहनोई अनवर हुसैन ने लोकल मीडिया को बताया कि हबीब जन्म से ही शारीरिक रूप से विकलांग है। लेकिन वह बहुत प्रतिभाशाली और एक अच्छा छात्र है। हबीब के अंदर बहुत प्रतिभा और आत्मविश्वास है। वह भविष्य में सफल होना चाहता है। सिद्दीक़िया फ़ाज़िल मदरसा के अरबी व्याख्याता मोहम्मद हेडयतुल इस्लाम ने कहा: “हबीब मेरे मदरसे के बहुत प्रतिभाशाली छात्र हैं और उन्होंने हर कक्षा में अच्छा प्रदर्शन किया है। उसने रविवार को अलीम की परीक्षा दी। हालांकि उनका परिवार गरीब है। अगर समाज के धनी लोग और सरकार उनके साथ खड़े हों, तो शायद वह बेहतर कर सके। मदरसे के प्रिंसिपल अलीम परीक्षा के प्रभारी अबाबुल्लाह इब्राहिम ने कहा: “हबीबुर रहमान ने मेरी देखरेख में इस केंद्र में जूनियर स्कूल सर्टिफिकेट(JSC) और एंट्रेंस एग्जाम दिया था। भले ही रहमान के दो हाथ नहीं हैं, फिर भी वह यह साबित कर चुका है कि वो लिखने में अक्षम नहीं है।”

अब जानिए दुनिया में कितने लोग आशावादी
नवंबर, 2021 में ग्लोबल रिसर्च कंपनी(IPSOS) का एक सर्वे सामने आया था। इसमें बताया गया था कि दुनिया में आशावादी लोगों की क्या स्थिति है। सर्वे के मुताबिक कोलंबिया के लोग दुनिया में सबसे ज्यादा निराश हैं। यानी यहां 91 फीसद लोगों को लगता है कि पिछले एक साल यानी 2020-21 में दुनिया और खतरनाक हुई है। पेरु के 90 फीसदी लोग, दक्षिण कोरिया के 88 फीसदी और अमेरिका के 86 फीसदी लोगों के मन में निराशा घर कर गई है। पूरी दुनिया में 82 फीसदी लोगों को लगता है कि दुनिया में निराशा है।

सितंबर 2021 और अक्टूबर 2021 के बीच दुनिया के 22 देशों के लोगों के बीच यह सर्वे किया गया था। चीन के 86 फीसदी, जबकि भारत के 79 फीसदी, सऊदी अरब के 73 फीसदी और मलेशिया के 72 फीसदी लोगों को लगता है कि दुनिया में बहुत कुछ खराब हो रहा है। लेकिन दुनिया में औसतन 49 फीसदी लोग आशावादी हैं।

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