सार

55 साल तक गलत परिवार के साथ रहने वाले व्यक्ति की कहानी। डीएनए टेस्ट से हुआ खुलासा, अस्पताल की गलती से बदली गई बेटी। अब परिवार ने NHS पर केस किया।

वेस्ट मिडलैंड्स: 55 साल की उम्र में पता चला कि ज़िंदगी भर एक गलत परिवार के साथ जी रहे थे। दोस्तों के कहने पर बेटे ने कराया डीएनए टेस्ट, और सामने आया जन्म का राज़, अस्पताल की बड़ी गलती। फिर 1967 में हुई इस गलती के खिलाफ परिवार ने केस कर दिया। अस्पताल में नवजात शिशुओं के बदल जाने की घटनाएं कभी नहीं सुनी, ऐसा कहने वाले NHS के खिलाफ परिवार ने मुआवज़े की मांग की है। 

पिता की दस साल पहले मौत हो चुकी थी और माँ 80 साल की हो चुकी थीं, इसलिए बेटे ने डीएनए टेस्ट की चौंकाने वाली जानकारी शुरुआत में माँ को नहीं बताई। डीएनए रिपोर्ट के मुताबिक, उसकी बहन के नाम पर किसी और का नाम था। रिपोर्ट बनाने में गलती हुई होगी, यह सोचकर डीएनए जांच करने वाली कंपनी से संपर्क किया, तब पता चला कि गलती रिपोर्ट में नहीं, बहन को बदलने में हुई थी। डीएनए जांच से बहन होने का दावा करने वाली महिला से संपर्क करने पर पता चला कि दोनों एक ही शहर में, पास-पास अलग-अलग घरों में रह रही हैं। 

जोआन नाम की महिला के चार बच्चों में सबसे बड़ा था टोनी। डीएनए जांच से पता चला कि टोनी की बहन कोई और है। तीन बेटों के बाद बड़ी चाहत से हुई बेटी को अस्पताल वालों ने बदल दिया था। जेसिका नाम की इकलौती बहन की जगह डीएनए रिपोर्ट के हिसाब से क्लेयर नाम की लड़की मिली। बेटे के जन्मदिन पर मिले डीएनए टेस्ट किट से दो साल पहले क्लेयर ने जांच कराई थी। लेकिन माता-पिता से कोई रिश्ता न मिलने पर परेशान क्लेयर से टोनी ने संपर्क किया। 2022 में टोनी की रिपोर्ट आने पर क्लेयर को अपना भाई मिला। 

तब क्लेयर को एहसास हुआ कि रिश्तेदारों से बिना किसी समानता के इतने साल कैसे जी ली। कई बार रिश्तेदारों के साथ समय बिताते हुए क्लेयर को लगता था कि क्या वह कोई धोखेबाज़ है या गोद ली हुई है। फिर क्लेयर और टोनी ने एक-दूसरे को मैसेज किए, तब पता चला कि जेसिका के जन्म के समय ही क्लेयर भी पैदा हुई थी। 55 साल पहले हुई गलती की वजह से दोनों अलग-अलग परिवारों में पली-बढ़ीं। 

2017 में सूचना के अधिकार के तहत हुई जांच में पता चला था कि अस्पताल में गलती से बच्चों के बदलने की कोई घटना नहीं हुई, लेकिन 55 साल बाद यह गलती सामने आ गई। 1980 से ही ब्रिटेन में नवजात शिशुओं को रेडियो फ्रीक्वेंसी पहचान टैग लगाने का चलन था। इससे पहले हाथ से टैग पर जानकारी लिखी जाती थी। 

क्लेयर से बात करने के बाद टोनी ने कानूनी कार्रवाई शुरू की। तब तक क्लेयर अपने भाई और माँ से मिल चुकी थी। 1967 में घर पर बच्चे को जन्म देने वाली जोआन को अचानक ब्लड प्रेशर बढ़ने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहाँ दर्द निवारक दवा लेने के बाद जोआन ने बेटी को जन्म दिया। उस समय के नियमों के अनुसार बच्ची को नर्सरी में भेज दिया गया। उसी दिन जेसिका भी इसी अस्पताल में पैदा हुई थी। अगले दिन नर्सरी से बच्ची को वापस लाते समय गलती हुई। बच्ची के रंग में फर्क देखकर भी किसी को शक नहीं हुआ। 

सालों बाद टोनी ने अपनी बहन समझी जाने वाली जेसिका को भी सच्चाई बताई। फिर 55 साल बाद क्लेयर अपनी असली माँ से मिली। जोआन और क्लेयर में कई समानताएँ थीं। बेटी के बुरे हालात जानकर जोआन और उसका परिवार कोर्ट गया। ज़िंदगी भर की तकलीफों के लिए परिवार ने NHS से बड़ा मुआवज़ा मांगा है। 

छोटी उम्र में ही माता-पिता के अलग होने के बाद क्लेयर बहुत गरीबी में पली-बढ़ी। अब क्लेयर और जेसिका के पासपोर्ट समेत सभी दस्तावेज़ों में जन्मतिथि गलत हो गई है। नवजात शिशुओं के अस्पताल में बदल जाने और उसके बाद होने वाले अपराध अक्सर फिल्मों में देखे जाते हैं, लेकिन यह असल ज़िंदगी में हुआ।