सार
इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद (Mossad) ने टूथपेस्ट से फिलिस्तीनी कमांडर वादी हद्दाद को मार डाला था। हत्या के काफी समय बाद पता नहीं चला था कि मौत की असली वजह क्या है।
वर्ल्ड डेस्क। सिर्फ 12 घंटे के अंतराल में इजरायल (Israel) के दो बड़े दुश्मनों की हत्या हुई। ईरान की राजधानी तेहरान में हमास के शीर्ष नेता इस्माइल हनीयाह और लेबनान की राजधानी बेरूत में हिजबुल्लाह कमांडर फुआद शुकर को मार डाला गया। दोनों घटनाओं के पीछे इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद का हाथ बताया जा रहा है। इजरायल ने एक बार फिर दिखाया है कि वह अपने दुश्मन को कहीं भी मार सकता है। 1978 में भी एक ऐसी ही घटना हुई थी। मोसाद ने टूथपेस्ट से वादी हद्दाद को मार डाला था।
वादी हद्दाद फिलिस्तीनी संगठन पॉपुलर फ्रंट फॉर द लिबरेशन ऑफ फिलिस्तीन का प्रमुख था। जनवरी 1978 में उसे भोजन के बाद पेट में गंभीर ऐंठन होने लगी। बाद में भूख खत्म हो गई थी। वजन 25 पाउंड से अधिक कम हो गया। स्थिति गंभीर होने पर उसे इराकी सरकारी अस्पताल ले जाया गया।
डॉक्टरों को लगा कि हेपेटाइटिस हो गया है। शक्तिशाली एंटीबायोटिक्स दिए गए। बगदाद के सबसे अच्छे डॉक्टरों ने इलाज किया, लेकिन हद्दाद की हालत में सुधार नहीं हुआ। उसके बाल झड़ने लगे और बुखार भी कम नहीं हुआ। संदेह की सुई जहर की ओर जा रही थी, लेकिन कौन सा जहर और किस तरह दिया गया यह डॉक्टरों को पता नहीं लग रहा था।
यासर अराफात ने पूर्वी जर्मनी की जासूसी एजेंसी स्टासी से मांगी थी मदद
फिलिस्तीन मुक्ति संगठन के नेता यासर अराफात ने पूर्वी जर्मनी की जासूसी एजेंसी स्टासी से मदद मांगी। उस समय सोवियत संघ ने फिलिस्तीनी लड़ाकों की मदद की थी। जब अराफात के सहयोगी ने स्टासी से संपर्क किया तो हद्दाद को बगदाद से पूर्वी बर्लिन ले जाया गया। उसे एक अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां खुफिया एजेंसी के एजेंटों का इलाज होता था।
हद्दाद के शरीर में अंदर ही अंदर बह रहा था खून
हद्दाद को विमान से पूर्वी बर्लिन ले जाते समय सहायकों ने एक बैग पैक किया। इसमें टूथपेस्ट की एक ट्यूब भी थी। हद्दाद बर्लिन पहुंचा तब तक उसकी हालत बहुत खराब हो गई थी। उसके शरीर में अंदर ही अंदर खून बह रहा था। हृदय के चारों ओर पेरीकार्डियम से खून का रिसाव हो रहा था। जीभ की जड़, फुफ्फुस झिल्ली, टॉन्सिल और यहां तक कि उसके मूत्र में भी खून निकल रहा था। उसके प्लेटलेट की संख्या खतरनाक रूप से कम हो गई थी।
डॉक्टरों ने उसकी सभी संभावित जांच की, लेकिन कुछ पता नहीं चला। अनुमान लगाया गया कि उसे चूहे के जहर या थैलियम दिया गया, लेकिन अचानक मौत नहीं होने से इसपर भी यकीन नहीं था। दस दिनों तक हदाद बहुत पीड़ा में रहा। उसकी चीखें पूरे अस्पताल में सुनी जा सकती थीं। डॉक्टरों को उसे दिन-रात बेहोश रखना पड़ा। 29 मार्च 1978 को उसकी मौत हो गई।
इसके बाद शव की जांच की गई। फोरेंसिक विशेषज्ञ प्रोफेसर ओटो प्रोकोप ने हदाद की मौत की वजह बताई। रिपोर्ट में कहा गया कि उसकी मौत 'पैनमाइलोपैथी द्वारा मस्तिष्क रक्तस्राव और निमोनिया' के कारण हुई। अब संदेह की कोई गुंजाइश नहीं थी कि किसी ने उसकी हत्या की है।
किस लिए मोसाद की हिट लिस्ट में पहले नंबर पर आया हद्दाद
हद्दाद ने 27 जून 1976 को एयर फ्रांस की फ्लाइट 139 के एंटेबे अपहरण की साजिश रची थी। यह विमान तेल अवीव से एथेंस होते हुए पेरिस के लिए उड़ा था। एथेंस में 58 यात्री विमान में सवार हुए। उनमें से चार अपहरणकर्ता थे। हदाद के निर्देश पर दो PFLP आतंकवादियों ने जर्मन क्रांतिकारी सेल के दो जर्मनों के साथ मिलकर यह काम किया। विमान को लीबिया के बेंगाजी ले जाया गया। यहां अपहरणकर्ताओं को ब्रिटिश मूल की इजरायली नागरिक पैट्रिशिया मार्टेल को छोड़ना पड़ा। उसने खुद को काट लिया था और गर्भपात का नाटक किया था। मार्टेल के बाहर आने के बाद वह लंदन चली गई। ब्रिटिश खुफिया एजेंसी MI6 और इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने उससे पूछताछ की।
विमान ईंधन भरने के लिए सात घंटे तक बेनगाजी में जमीन पर रहा। इसके बाद युगांडा के एन्टेबे हवाई अड्डे के लिए रवाना हुआ। एन्टेबे में इजराइल ने ऑपरेशन थंडरबोल्ट कर बंधकों को छुड़ाया। लेफ्टिनेंट कर्नल योनातन नेतन्याहू की इस लड़ाई में मौत हो गई। इसके चलते बाद में ऑपरेशन का नाम बदलकर 'ऑपरेशन योनातन' कर दिया गया।
हद्दाद के टूथपेस्ट में था जहर
एक फिलिस्तीनी संगठन के कारण युगांडा की धरती पर यहूदियों का खून बहना व्यर्थ नहीं जाना था। मोसाद के लिए हदाद मुख्य टारगेट बन गया। वैसे भी, हद्दाद को मोसाद की हिट लिस्ट में सबसे ऊपर रखा गया था। विमान हाईजैक के 18 महीने बाद हद्दाद इराक के बगदाद में शांतिपूर्वक रह रहा था।
मोसाद ने उसकी हत्या के लिए ऐसा तरीका अपनाया जिससे कम से कम संदेह हो। हत्या या तो स्वाभाविक दिखे या बीमारी से मौत। हद्दाद को मारने का काम 'एजेंट सैडनेस' को सौंपा गया था। एजेंट सैडनेस के पास हद्दाद के घर और दफ्तर दोनों तक काफी हद तक पहुंच थी। 10 जनवरी 1978 को हद्दाद के नियमित टूथपेस्ट की जगह एक ट्यूब रखी गई, जिसमें उसकी मौत थी।
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टूथपेस्ट की ट्यूब में एक जहर था। इसे तेल अवीव के दक्षिण-पूर्व में नेस जियोना में इजरायल इंस्टीट्यूट फॉर बायोलॉजिकल रिसर्च में विकसित किया गया था। दांत साफ करते वक्त जहर हदाद के शरीर में चला जाता था। यह धीरे-धीरे एक महत्वपूर्ण स्तर तक पहुंचा फिर हदाद के लिए घातक हो गया।
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