सार

श्रीलंका में लोकल चुनाव टालने के लिए राष्ट्रपति रानिल बिक्रमासिंघे को सुप्रीम कोर्ट ने दोषी ठहराया है। राष्ट्रपति ने आर्थिक तंगी का हवाला देते हुए चुनाव टाले थे, लेकिन कोर्ट ने इसे संविधान का उल्लंघन माना है।

Sri Lanka President guilty: आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे श्रीलंका में लोकल चुनाव में देरी पर राष्ट्रपति रानिल बिक्रमासिंघे को दोषी ठहराया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने गैरकानूनी ढंग से चुनाव में देरी करने का दोषी राष्ट्रपति को माना है। हालांकि, राष्ट्रपति ने अपने बचाव करते हुए चुनाव में देरी की वजह आर्थिक तंगी बताते हुए कहा कि उनके लिए अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना और राइट टू लाइफ सुनिश्चित करना पहला कर्तव्य है। वह विश्वास दिलाते हैं कि वह लोगों का जीवन और चुनाव में मिले वोट का अधिकार दोनों की रक्षा करेंगे।

श्रीलंका में आर्थिक तंगहाली से रोटी के लिए तरसे लोग उतरे थे सड़कों पर

आर्थिक बदहाली की वजह से दो साल पहले श्रीलंका में जनता सड़कों पर उतर आई थी। दो जून की रोटी की व्यवस्था नहीं होने की वजह से लोगों ने बड़ा आंदोलन किया था। लोगों को न खाने के सामान मिल रहे थे न ही ईंधन या अन्य आवश्यक सामान की सप्लाई सुचारू थी। देश के विभिन्न हिस्से बिजली संकट की वजह से अंधेरे में हो गए थे। राजपक्षे सरकार के फेल्योर की वजह से जनता आंदोलित हो गई। कोलंबो स्थित राष्ट्रपति भवन पर भी धावा बोल दिया। जनता के गुस्से की वजह से देश के सबसे ताकतवर राजपक्षे परिवार को सत्ता गंवानी पड़ी थी। गोटाबया राजपक्षे ने इस्तीफा देने के साथ परिवार के साथ देश छोड़ दिए।

जुलाई 2022 में बिक्रमसिंघे ने संभाला था राष्ट्रपति पद

जुलाई 2022 में गोटाबया राजपक्षे ने राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद संसद ने बिक्रमासिंघे को अंतरिम राष्ट्रपति चुना था। श्रीलंका को आर्थिक तंगहाली से बचाने के लिए आईएमएफ ने 2.9 बिलियन डॉलर का बेलआउट पैकेज दिया था। बेलआउट पैकेज के लिए सरकार को ईधन के दामों और टैक्स में बढ़ोतरी करनी पड़ी थी।

कोर्ट ने कहा राष्ट्रपति ने किया है संविधान का उल्लंघन

बिक्रमासिंघे ने अंतरिम राष्ट्रपति के रूप में मार्च 2023 में होने वाले लोकल चुनावों को आर्थिक तंगी की वजह से पोस्टपोन कर दिया था। चुनाव में देरी का आरोप लगाते हुए विरोधी खेमा सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति बिक्रमासिंघे को देरी के लिए दोषी ठहराया है। दरअसल, सितंबर 2024 में राष्ट्रपति चुनाव भी होने हैं। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जयंथ जयसूर्या ने कहा कि सरकार लोकल चुनाव के लिए फंड अलॉट करने में विफल रही। राष्ट्रपति इसके लिए दोषी हैं। लोगों के वोट देने का अधिकार नहीं छीना जा सकता है। राष्ट्रपति ने संविधान का उल्लंघन किया है।

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