सार
श्रीलंका के विपक्ष के नेता साजिथ प्रेमदासा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद करने की गुहार लगाई है। उन्होंने कहा कि प्लीज हमारे देश की यथासंभव मदद करें। यह हमारी मातृभूमि है और हमें इसे बचाने की जरूरत है।
कोलंबो। चीन के कर्ज के जाल में फंसे श्रीलंका की आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो गई कि उसे इमरजेंसी लगाना पड़ा है। श्रीलंका के लोगों को चावल, दूध, तेल, पेट्रोल और डीजल जैसे जरूरी सामान नहीं मिल रहे हैं। ऐसे मुश्किल वक्त में भारत अपने पड़ोसी देश की मदद कर रहा है। भारत की ओर से 40 मिट्रिक टन डीजल और 50 हजार टन चावल श्रीलंका भेजा गया है।
श्रीलंका के विपक्ष के नेता और सांसद साजिथ प्रेमदासा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपने देश की यथासंभव मदद करने का आग्रह किया है साजिथ प्रेमदासा ने कहा कि कृपया कोशिश करें और यथासंभव श्रीलंका की मदद करें। यह हमारी मातृभूमि है और हमें इसे बचाने की जरूरत है। चुनाव में भाग लेने संबंधी सवाल के जवाब में प्रेमदासा ने कहा कि उनकी पार्टी चुनाव लड़ने के लिए तैयार है।
साजिथ प्रेमदासा ने श्रीलंका की सरकार के मंत्रियों के इस्तीफे को ड्रामा बताया। उन्होंने कहा कि देश के लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए नाटक किया जा रहा है। हमारे समाज में पवित्रता लाने और लोगों को राहत देने के लिए कोई वास्तविक प्रयास नहीं किया जा रहा है। सरकार लोगों को बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रही है। हम लोगों के लिए तत्काल राहत की मांग कर रहे हैं। हम लोगों के जीवन और उनके अधिकारों की रक्षा करना चाहते हैं। प्रेमदासा ने कहा कि देश की जनता आर्थिक संकट से राहत दिलाने के लिए सरकार बदलने की मांग कर रही है। पूरा देश बड़े पैमाने पर परिवर्तन का आह्वान कर रहा है।
गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है श्रीलंका
बता दें कि श्रीलंका भोजन और ईंधन की कमी के साथ गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। इससे वहां की बड़ी आबादी प्रभावित हुई है। कोरोना महामारी की शुरुआत के बाद से अर्थव्यवस्था में तेज गिरावट आई है। स्थिति ऐसी हो गई है कि श्रीलंका के पास पेट्रोलियम और अन्य सामान दूसरे देशों से मंगाने के लिए विदेशी मुद्रा नहीं है। श्रीलंका को विदेशी मुद्रा की कमी का सामना करना पड़ रहा है। इसके चलते खाद्य और ईंधन आयात करने की उसकी क्षमता प्रभावित हुई है, इससे देश में बिजली कटौती हुई है। आवश्यक वस्तुओं की कमी ने श्रीलंका को मित्र देशों से सहायता लेने के लिए मजबूर किया है।
बता दें कि आर्थिक संकट को लेकर सरकार के खिलाफ बढ़ते जन आक्रोश के बीच श्रीलंका के 26 सदस्यीय कैबिनेट मंत्रियों ने रविवार को इस्तीफा दे दिया था। श्रीलंकाई कैबिनेट मंत्रियों ने एक सामान्य पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें इस्तीफा देने की सहमति दी गई है। इससे नए मंत्रिमंडल के गठन का मार्ग प्रशस्त हो गया है।
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मुश्किल में मदद कर रहा भारत
इस बीच श्रीलंका में शनिवार शाम छह बजे लगाया गया 36 घंटे का कर्फ्यू सोमवार सुबह छह बजे हटा लिया गया, लेकिन देश में अभी भी आपातकाल की स्थिति है। श्रीलंका में आर्थिक संकट से निपटने के सरकार के तरीके को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। शनिवार को भारत ने श्रीलंका को बिजली संकट कम करने में मदद करने के लिए 40,000 मीट्रिक टन डीजल दिया था। यह मदद भारत द्वारा श्रीलंका को दी गई 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर के ऑयल लाइन ऑफ क्रेडिट (एलओसी) के हिस्से के रूप में दी गई। यह कोलंबो को वितरित ईंधन की चौथी खेप थी। भारत ने पिछले 50 दिनों में श्रीलंका को लगभग 200,000 मीट्रिक टन ईंधन की आपूर्ति की है।
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