सार
Syrian civil war: सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल असद की सरकार का पतन हो गया है। असद विमान में सवार होकर भाग गए हैं। 5 दशक से भी अधिक समय से सीरिया पर उनके परिवार का शासन रहा है। असद अलावी राजवंश से हैं। सुन्नी देश सीरिया पर अलावी राजवंश के शासन की शुरुआत 1970 में हाफिज अल-असद ने की थी।
हाफिज अल-असद ने 1970 में संभाली थी सत्ता
हाफिज अल-असद ने 13 नवंबर 1970 को तख्तापलट के जरिए सीरिया की सत्ता पर कब्जा किया था। इससे सीरिया में एक नए युग की शुरुआत हुई थी। उस समय सीरिया में राजनीतिक अस्थिरता थी। स्वतंत्रता के बाद के इतिहास में कई तख्तापलट हुए। हाफिज सीरियाई वायु सेना के कमांडर और रक्षा मंत्री थे। सत्ता पाने के लिए उन्होंने सेना और बाथ पार्टी के भीतर एक वफादार नेटवर्क तैयार किया था।
हाफिज की रणनीति सीरिया के जातीय, धार्मिक और राजनीतिक विभाजन का फायदा उठाते हुए फूट डालो और राज करो पर आधारित थी। उन्होंने खुद को देश को एक साथ रखने वाले नेता के रूप में पेश किया था। वे सीरिया की संस्थाओं को मजबूत नहीं कर सके। उनके उत्तराधिकारियों को एक कमजोर नींव मिली।
अपने शासन को मजबूत करने के लिए हाफिज ने पारंपरिक रूप से हाशिए पर पड़े अलावी अल्पसंख्यक समूह को सेना और सरकार में सत्ता के पदों पर बिठाया। संभावित खतरों से निपटने के लिए सीरिया की सांप्रदायिक और जनजातीय दरारों का इस्तेमाल किया।
अलावी सीरिया में अल्पसंख्यक हैं। वे सीरिया की लड़ाई से पहले की आबादी का लगभग 12-15 प्रतिशत हैं। अलावी समाज ने हाफिज का पूरा साथ दिया। यह वफादारी आंशिक रूप से समुदाय के ऐतिहासिक हाशिए पर होने और असद के शासन में उन्हें दिए गए अवसरों से उपजी।
बशर अल-असद ने 2000 में संभाली थी सत्ता
हाफिज अल-असद अपनी विरासत अपने सबसे बड़े बेटे बासेल को सौंपना चाहते थे। उन्हें नेतृत्व के लिए तैयार किया गया था। हालांकि, 1994 में एक कार हादसे में बासेल की मौत हो गई। इसके बाद हाफिज ने अपने दूसरे बेटे बशर को सत्ता सौंपने का फैसला किया। बशर अपेक्षाकृत अनुभवहीन थे। वे नेत्र रोग विशेषज्ञ थे। 2000 में हाफिज की मौत के बाद बशर ने राष्ट्रपति पद संभाला।
कई सीरियाई और विदेशी पर्यवेक्षकों को उम्मीद थी कि बशर सीरिया के सिस्टम में सुधार और खुलापन लाएंगे। हालांकि, ये उम्मीदें जल्द ही टूट गईं। बशर ने सत्ता पाने के बाद के शुरुआती सालों में अपने पिता के सहयोगियों की जगह अपने विश्वासपात्रों को लाने के प्रयास किए। इनमें से अधिकांश सीरिया के शहरी अभिजात वर्ग से थे। बशर के करीबी लोगों का जमीनी स्तर पर कोई संबंध नहीं था। इससे शासन सीरिया की ग्रामीण आबादी से अलग-थलग पड़ गया।
बशर के शासन में राज्य संस्थाओं के कमजोर होने के साथ ही उनके परिवार के इर्द-गिर्द केंद्रित कुलीन वर्ग का एक संकीर्ण गुट भी उभर कर सामने आया। उनके भाई माहेर, उनकी बहन बुशरा और उनके पति आसिफ शौकत जैसे लोगों ने शासन की सुरक्षा और सैन्य तंत्र में अहम भूमिका निभाई। आर्थिक ताकत शासन के करीबी लोगों के हाथों में केंद्रित थी। इनमें सबसे प्रमुख बशर के चचेरे भाई रामी मखलौफ थे। उन्होंने कथित तौर पर सीरिया की अर्थव्यवस्था के 60 प्रतिशत से अधिक हिस्से पर कंट्रोल कर लिया था।
हाफिज अल-असद अपने विरोधियों से बेहद क्रूर तरीके से निपटते थे। 1982 में सीरियाई सेना ने हामा शहर में मुस्लिम ब्रदरहुड द्वारा किए गए सशस्त्र विद्रोह को कुचला था। इस लड़ाई में 10-40 हजार लोग मारे गए थे।
विद्रोह कुचलने का यह तरीका बशर के शासन में भी जारी रहा। 2011 में विरोध प्रदर्शन शुरू हुए तो सीरिया की सेना ने उसे हिंसक तरीके से दबाया। इससे पूरे देश में गृहयुद्ध शुरू हो गया। इसके बाद से हजारों लोगों की जान गई है। लाखों लोग विस्थापित हुए हैं।
बशर का कार्यकाल आर्थिक कुप्रबंधन और बढ़ती असमानता के लिए जाना जाता है। 2000 से 2010 के बीच सीरिया का प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद दोगुना हो गया। इसका लाभ एक छोटे से अभिजात वर्ग को मिला। गरीबी कम नहीं हुई। बेरोजगारी बढ़ गई। भ्रष्टाचार ने लोगों में सरकार के प्रति गुस्सा पैदा किया। 2000 के दशक में बड़े गंभीर सूखा ने स्थिति और गंभीर कर दी।
2011 में सीरिया में शुरू हुआ गृहयुद्ध
सीरिया में 2011 में गृहयुद्ध शुरू हुआ था। पिछले दिनों हयात तहरीर अल-शाम (HTS) नाम के समूह के नेतृत्व में विद्रोही बलों ने शासन को सीधे चुनौती देते हुए हमला शुरू किया। HTS पहले अल-कायदा से जुड़ा हुआ था। इसका नेतृत्व अबू मोहम्मद अल-जोलानी कर रहे हैं। इस समूह ने राजधानी दमिश्क पर कंट्रोल कर लिया है।
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