सार
US Tariff: डोनाल्ड ट्रंप ने सभी देशों से आयातित वस्तुओं पर 10% बेसलाइन टैक्स और उन देशों पर अधिक दरों से टैरिफ लगाने की घोषणा की है। ट्रंप के टैरिफ प्लान से कीमतों पर क्या असर होगा?
US Tariff: हफ्तों की अटकलों और चर्चाओं के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी को हकीकत में बदल लिया। उन्होंने सभी देशों से आयातित वस्तुओं पर 10% बेसलाइन टैक्स और उन देशों पर अधिक दरों से टैरिफ लगाने की घोषणा की है। डोनाल्ड ट्रंप ने इसे प्रतिशोधी टैरिफ बताते हुए कहा कि यह उनका एक बड़ा चुनावी वादा था। उनके मुताबिक, इस फैसले से अमेरिका उन देशों को जवाब देगा जो उस पर ज्यादा टैक्स लगाते हैं और ऐसा करने से व्यापार असंतुलन भी कम होगा।
क्या अमेरिका द्वारा वसूले गए टैरिफ जनरल रेवेन्यू फंड में जाते हैं?
टैरिफ यानी आयात पर लगने वाला कर तब वसूला जाता है जब विदेशी सामान अमेरिका की सीमा में पहुंचता है। यह पैसा कस्टम्स और बॉर्डर प्रोटेक्शन एजेंसी इकट्ठा करती है और फिर अमेरिकी वित्त मंत्रालय को भेज दिया जाता है। यह धन सरकार के खर्चों को पूरा करने में इस्तेमाल होता है लेकिन इसका उपयोग कैसे होगा, इसका फैसला अमेरिकी कांग्रेस करती है।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ से मिलने वाले पैसों को टैक्स कटौती के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस टैक्स कटौती का सबसे बड़ा फायदा अमीर लोगों को मिलेगा। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ से मिलने वाले पैसों को टैक्स कटौती के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस टैक्स कटौती का सबसे बड़ा फायदा अमीर लोगों को मिलेगा।
टैरिफ नीति के चलते कीमतें कितनी जल्दी बढ़ेंगी?
टैरिफ नीति के चलते कीमतें कितनी जल्दी बढ़ेंगी यह इस बात पर निर्भर करेगा कि अमेरिका और अन्य देशों के व्यवसाय इस फैसले पर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं। लेकिन आम उपभोक्ताओं को एक से दो महीने के भीतर कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। कुछ उत्पादों पर असर और भी जल्दी पड़ सकता है। उदाहरण के लिए मैक्सिको से आयात होने वाली ताजी सब्जियां और फल इनकी कीमतें टैरिफ लागू होते ही तेजी से बढ़ सकती हैं।
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व्यवसायों के लिए अकेले संभालना बेहद मुश्किल
ट्रंप द्वारा बुधवार को घोषित किए गए भारी टैरिफ, जैसे कि यूरोप से आयातित सामान पर 20% शुल्क, कई व्यवसायों के लिए अकेले संभालना बेहद मुश्किल होगा। ऐसे में, इसकी अधिकांश लागत उपभोक्ताओं तक पहुंचने की संभावना है, जिससे उत्पादों के दाम बढ़ सकते हैं। कुछ अमेरिकी रिटेलर्स और आयातक टैरिफ का पूरा बोझ ग्राहकों पर डालने के बजाय खुद कुछ लागत उठा सकते हैं, जबकि कुछ विदेशी निर्यातक अतिरिक्त शुल्क की भरपाई के लिए अपनी कीमतें कम कर सकते हैं।
क्या कीमतों में होगी बढ़ोतरी?
अगले कुछ महीनों में यह एक अहम सवाल होगा कि क्या कीमतों में फिर से वैसी ही बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। अर्थशास्त्रियों को चिंता है कि पिछले चार दशकों में महंगाई की सबसे बड़ी लहर झेल चुके उपभोक्ता अब लगातार बढ़ती कीमतों के आदी हो गए हैं। महामारी से पहले की तुलना में अब वे महंगाई को सामान्य मान सकते हैं। हालांकि, कुछ संकेत यह भी मिल रहे हैं कि बढ़ती महंगाई और जीवन यापन की लागत में इजाफे से परेशान अमेरिकी अब कीमतों में और बढ़ोतरी को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं।
चीन ने तुरंत प्रतिक्रिया देने की बात कही
अमेरिका ने चीन से आने वाले सामान पर 34% अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया है। इसके जवाब में चीन ने तुरंत प्रतिक्रिया देने की बात कही और चेतावनी दी कि इस फैसले से प्रभावित देशों को भारी नुकसान होगा। चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि अमेरिका का यह टैरिफ अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों के खिलाफ है और इससे कई देशों के वैध अधिकारों और हितों को नुकसान पहुंचेगा।