सार

Peacekeeping force : यूनाइटेड नेशंस पीसकीपिंग फोर्स में भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल के भी जवान शामिल हैं। वर्तमान में 90 हजार सैनिक दुनियाभर में 12 अलग-अलग मिशनों पर तैनात हैं। इस फोर्स को तैनात करने का उद्देश्य कम हिंसा और लोगों की मौतें कम करना होता है।  

नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन में चल रहे युद्ध के बीच संयुक्त राष्ट्र ने रूस के हमले का विरोध किया है। उस पर कई प्रतिबंध भी लगाए। इस बीच पीसकीपिंग फोर्स चर्चा में है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1948 में यूएन पीसकीपिंग मिशन की शुरुआत की थी। तब से अब तक करीब यह अलग अलग क्षेत्रों में 71मिशन चला चुका है। भारत ने 1950 में पीसकीपिंग फोर्स में हिस्सा लिया। तब से इसके पुलिसकर्मियों और आर्मी जवानों की संख्या इस फोर्स में बढ़ती गई। 

भारत के 2 लाख सैनिक दे चुके सेवाएं



अब तक भारत 49 मिशन में तकरीबन 2 लाख भारतीय अपनी सेवाएं दे चुके  हैं। 2014 में भारत ने 7,860 सैनिकों को 10 मिशनों में लगाया। दक्षिण सूडान में तैनात भारतीय सैनिकों ने काफी नरसंहार रोका, जिसकी संयुक्त राष्ट्र में तारीफ की गई। नवंबर 1950 से जुलाई 1954 तक 60वीं भारतीय फील्ड एम्बुलेंस कोरियाई युद्ध में तैनात रही। इसमें 19 अधिकारी, 9 जेसीओ और 300 अन्य रैंकों से बनाई गई एक पैराशूट ट्रेन मेडिकल यूनिट शामिल थी। इस टीम ने ऑपरेशन टॉम हॉक में हिस्सा लिया और 21 मार्च 1951 को 187 एयरबोर्न रेजिमेंटल कॉम्बैट टीम द्वारा एयरबोर्न ऑपरेशन में भाग लिया। यूनिट को प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया।  

क्यों बनी यह फोर्स



दरअसल, संयुक्त राष्ट्र के पास अपनी कोई पुलिस नहीं है। इसलिए 1948 में 125 देशों की सेनाओं और पुलिस बल को मिलाकर यह पीसकीपिंग फोर्स तैयार कराई थी। यह फोर्स संयुक्त राष्ट्र संघ के देशों को संघर्ष से शांति के रास्ते पर लाने में मदद करती है। बेहद कठिन चुनौतियों से जूझने और शांति स्थापित करने में इस मिशन के जवानों का कोई जोड़ नहीं है। भारत समेत कई देशों की महिला पुलिसकर्मी भी इस फोर्स में हैं।  
 
90 हजार सैनिक 12 देशों में तैनात 



यूनाइटेड नेशंस पीसकीपिंग फोर्स में भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल के भी जवान शामिल हैं। वर्तमान में 90 हजार सैनिक दुनियाभर में 12 अलग-अलग मिशनों पर तैनात हैं। इस फोर्स को तैनात करने का उद्देश्य कम हिंसा और लोगों की मौतें कम करना होता है। इसका सालाना बजट दुनियाभर की आर्मी का 0.5 प्रतिशत है। 72 सालों में 125 देशों के 10 लाख से ज्यादा महिला और पुरुषों ने इस फोर्स में योगदान दिया। इस दौरान अलग-अलग देशों में 71 पीसकीपिंग मिशन चलाए गए। 

इन देशों में चल रहा पीसकीपिंग मिशन
इजरायल, लेबनान, सायप्रस, जॉर्डन, वेस्टर्न सहारा, माली, कांगो, सेंट्रल अमेरिका रिपब्लिक, सूडान, जम्मू कश्मीर, सर्बिया

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14 हजार से ज्यादा सिविलियन कर रहे काम 
Peacekeepung.un.org के अनुसार 14 हजार से ज्यादा सिविलियंस यूएन पीसकीपिंग ऑपरेशंस में काम कर रहे हैं। सिविलियंस शांति स्थापना के कई अनिवार्य कार्य करते हैं। इनमें मानवाधिकारों के प्रति जागरूक करना, उनकी रक्षा करना, कानून के शासन को मजबूत करने में मदद करना, राजनीतिक और सुलह प्रक्रियाओं को बढ़ावा देना, खान-पान जागरूकता को बढ़ावा देना और सार्वजनिक सूचना अधिकारियों के रूप में सेवा करना इसमें शामिल है।   

अब तक 160 भारतीय हुए शहीद 



पीसकीपिंग मिशन के तहत भारत के सबसे ज्यादा जवान कांगो और दक्षिण सूडान में तैनात हैं। भारत ने 15 फोर्स कमांडर भी अलग-अलग मिशन पर भेजे हैं। 160 भारतीय पीसकीपर अब तक शहीद हो चुके हैं। ये सर्वाधिक संख्या है। भारतीय महिलाएं पहली बार 1960 में कांगो में यूएन मिशन पर गई थीं। 2007 से 2016 के बीच 9 बार ऑल फीमेल पुलिस यूनिट मिशन पर गईं। नाइट पेट्रोलिंग में इनकी ड्यूटी लगाई गई। 

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