सार

पाकिस्तान में प्रधानमंत्री इमरान खान की सत्ता को जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल (जेयूआई-एफ) के नेता मौलाना फजल-उर-रहमान ने उखाड़ फेंकने की कमस खा ली है। आजादी मार्च के जरिए मौलाना फजल-उर-रहमान इमरान से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।

इस्लामाबाद. पाकिस्तान में प्रधानमंत्री इमरान खान की सत्ता को जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल (जेयूआई-एफ) के नेता मौलाना फजल-उर-रहमान ने उखाड़ फेंकने की कमस खा ली है। आजादी मार्च के जरिए मौलाना फजल-उर-रहमान इमरान से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। मार्च इस्लामाबाद तक पहुंच गया है। फजल-उर-रहमान ने कहा कि अगर इमरान खान ने इस्तीफा देने से इनकार किया तो पाकिस्तान में अराजकता का माहौल पैदा होगा। आरोप है कि इमरान खान ने धांधली करके प्रधानमंत्री का पद हासिल किया।  

कौन हैं फजल-उर-रहमान?
फजल-उर-रहमान एक पाकिस्तानी राजनेता और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (एफ) के अध्यक्ष हैं। फजल ने इससे पहले 2004 से 2007 तक विपक्ष के नेता के रूप में काम किया था। फजल 1988 से मई के बीच पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के सदस्य थे। उन्होंने प्रधानमंत्री के इस्तीफा देने के इरादे से इस्लामाबाद की ओर मार्च निकाला।

फजल के पिता सीएम रह चुके हैं
फजल का जन्म 19 जून 1953 को राजनीतिक परिवार में हुआ था। उन्होंने 1983 में इस्लामिया में स्नातक की डिग्री ली और अल-अजहर विश्वविद्यालय काहिरा से मास्टर्स किया। उनके पिता मुफ्ती महमूद एक इस्लामिक विद्वान और राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने 1972 से 1973 तक खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री के रूप में काम किया था। 

27 अक्टूबर को शुरू किया आजादी मार्च
जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम फजल के हजारों सदस्यों ने इमरान खान सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया और प्रधानमंत्री से इस्तीफे की मांग की। आजादी मार्च 27 अक्टूबर 2019 को सुक्कुर से शुरू हुआ और सिंध और पंजाब तक गया। यात्रा में अन्य राजनीतिक दल भी शामिल हुए। 31 अक्टूबर 2019 को आजादी मार्च इस्लामाबाद तक पहुंची। 

फजल को तालिबानी राजनीतिज्ञ माना जाता है
फजल को आम तौर पर पाकिस्तान में एक तालिबान राजनीतिज्ञ माना जाता है, जो अफगानिस्तान के इस्लामिक अमीरात से घनिष्ठ संबंधों के लिए जाने जाते हैं। हालांकि उन्होंने खुद को इस्लामिक चरमपंथियों और धार्मिक कट्टरपंथियों से कोई संबंध नहीं होने की बात कही है।