सार

दिल की बीमारी की बात हो तो बात सीधे दिल पर लगती है और ऐसे में अगर कोई कह दे कि पिछले 25 बरस में हमारे देश में दिल की बीमारी और दिल के दौरे का खतरा 50 प्रतिशत तक बढ़ गया है तो दिल ही बैठ जाता है। डाक्टरों का कहना है कि खान पान की आदतों में सुधार के साथ ही सैर, योग अथवा व्यायाम जैसी आदतों को अपनी जीवनशैली का हिस्सा बनाने से रक्तप्रवाह में सुधार होता है।

नई दिल्ली. दिल की बीमारी की बात हो तो बात सीधे दिल पर लगती है और ऐसे में अगर कोई कह दे कि पिछले 25 बरस में हमारे देश में दिल की बीमारी और दिल के दौरे का खतरा 50 प्रतिशत तक बढ़ गया है तो दिल ही बैठ जाता है। डाक्टरों का कहना है कि खान पान की आदतों में सुधार के साथ ही सैर, योग अथवा व्यायाम जैसी आदतों को अपनी जीवनशैली का हिस्सा बनाने से रक्तप्रवाह में सुधार होता है, वजन सामान्य रखने में मदद मिलती है, तनाव में राहत मिलती है और हृदयरोग के साथ साथ और भी बहुत बीमारियों का जोखिम कम होता है।

बीमारियों के प्रति सचेत रहकर करें दिल की हिफाजत
जेपी अस्पताल, नोएडा में एडिशनल डायरेक्टर, डिपार्टमेंट ऑफ़ इंटरवेंश्नल कार्डियोलॉजी (एडल्ट), डाक्टर बी एल अग्रवाल का कहना है कि मानव शरीर में ह्रदय एक ऐसा अंग है जिसपर शरीर में होने वाली अन्य गतिविधियों का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बहुत असर पड़ता है। जैसे यदि व्यक्ति का ब्लड प्रेशर नार्मल नहीं है तो धमनियों पर असर होगा इसके अलावा कोलेस्ट्रोल बढ़ना, अत्यधिक तनाव, हाइपरटेंशन आदि ऐसे रोग हैं जिनसे हृदयरोग का जोखिम पूरा पूरा जुडा होता है। ऐसे में इन बीमारियों के प्रति सचेत रहकर अपने दिल की हिफाजत की जा सकती है।

भारतीयों में 50 फीसदी बढ़ा खतरा
1990 का दशक हमारे देश को आर्थिक सुधारों और बाजारीकरण की सौगात देकर गया। दुनियाभर के तमाम ब्रांड और तमाम बड़ी कंपनियों को भारत के रूप में एक बड़ा बाजार मिला। इससे देश की अर्थव्यवस्था में भले सुधार हुआ, लेकिन आधुनिकता की आंधी ने लोगों की जीवनशैली को पूरी तरह से बदलकर रख दिया। लांसेट हैल्थ जर्नल की एक रिपोर्ट की मानें तो नमक, चीनी, वसा के बढ़ते इस्तेमाल और वायु प्रदूषण के चलते भारतीयों में दिल की बीमारी का खतरा 50 प्रतिशत तक बढ़ गया है।

इन फलों का करें सेवन
रिपोर्ट के अनुसार भारत में हृदयरोग सबसे अधिक जान लेने वाली बीमारियों में से एक है। आंकड़ों से इस तथ्य की पुष्टि होती है। 1990 में जहां देश में होने वाली कुल मौतों में 15 प्रतिशत दिल की बीमारी और दिल के दौरे की वजह से होती थी, 2016 तक आते आते यह प्रतिशत 15 से बढ़कर 28 तक पहुंच गया। श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टिट्यूट के सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट, डॉ. राकेश चुघ ने कहा कि सदियों से कहा जाता है कि जैसा खाओ अन्न वैसा होगा मन और दिल के मामले में यह एकदम सही है। खान पान की आदतों में बदलाव करें, अपने खाने से बहुत तले, भुने भोजन को कम करें, हेल्दी फैट का सेवन करें, फिर उसी अनुसार वर्कआउट भी करें। मौसमी फलों को खाने की आदत डालें। पके हुए भोजन के साथ साथ सलाद में कच्ची सब्जियां खाने पर बल दें। हर तरह के नशे से दूर रहने की सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि शरीर को सक्रिय रखने के लिए अपनी पसंद के अनुसार किसी व्यायाम, योग या खेल आदि का चुनाव करें और इसे नियमित रूप से अपने व्यस्त जीवन से समय दें।

मोबाइल से दूर रहने की सलह
डॉ. चुघ के अनुसार इस वर्ष के 'वर्ल्ड हार्ट डे' की थीम स्वस्थ जीवनशैली पर केन्द्रित है, जिसके तहत लोगों को अपने दिल को बीमार होने से बचाने के तरीकों के प्रति जागरुक करना प्रमुख है। वह कंप्यूटर और मोबाइल फोन पर घंटों बिताने वाले लोगों को आगाह करते हुए कहते हैं कि युवा पीढ़ी के सामने चुनौतियां पहले से ज्यादा हैं। खानपान की खराब आदतें ठीक करना तो उनके बस में है, लेकिन साफ पानी और साफ हवा अब आसानी से मयस्सर नहीं हैं। इसके लिए उन्हें विशेष रूप से प्रयास करना होगा।

धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशेलिटी अस्पताल के डायरेक्टर- कार्डियोथोरेसिक एंड वैस्कुलर सर्जरी, डॉक्टर मितेश बी शर्मा का कहना है कि एक हृदयरोगी का दिल एक स्वस्थ व्यक्ति के दिल के मुकाबले कहीं कमजोर होता है। ऐसे में दिल के मरीज को खानपान से लेकर कामकाज में हर तरह के परहेज करने पड़ते हैं। उन्होंने बताया कि एक समय धूम्रपान को हृदयरोग के प्रमुख कारणों में गिना जाता था, लेकिन अब जीवनशैली की कमियां, प्रदूषण और खानपान की खराब आदतें भी इसमें शुमार हो गई हैं।