देव दीपावली (Dev Deepawali) की रात शिव नगरी का नजारा देवलोक सा जगमग हो गया। 84 घाट, शहर के कुंड, हर गली, हर चौबारे, हर घर की चौखट दीयों की रौशनी से जगमग हुई।
मान्यता है कि कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था। त्रिपुरासुर के वध की खुशी में देवताओं ने काशी में अनेकों दीए जलाए। यही कारण है कि आज भी हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा पर काशी में दिवाली मनाई जाती है।