सार
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को बहुला चतुर्थी (Bahula Chaturthi 2021) कहा जाता है। इस बार ये तिथि 25 अगस्त, बुधवार को है। बहुला चतुर्थी (Bahula Chaturthi 2021) पर मुख्य रूप से भगवान श्रीगणेश की पूजा की जाती है और बुधवार भी उन्हीं का दिन है।
उज्जैन. बुधवार और चतुर्थी तिथि का योग होने से बहुला चतुर्थी का महत्व और भी बढ़ गया है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस व्रत को करने से संतान के ऊपर आने वाला कष्ट शीघ्र ही समाप्त हो जाता है और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।। आगे जानिए इस व्रत की विधि व अन्य बातें…
इस विधि से करें ये व्रत
- महिलाएं इस दिन सुबह स्नान कर पवित्रता के साथ भगवान गणेश की आराधना आरंभ करें। भगवान गणेश की प्रतिमा के सामने व्रत का संकल्प लें।
- धूप, दीप, गंध, पुष्प, प्रसाद आदि सोलह उपचारों से श्रीगणेश का पूजन संपन्न करें। चंद्र उदय होने से पहले जितना हो सके कम बोलें।
- शाम होने पर फिर से स्नान कर इसी पूजा विधि से भगवान श्रीगणेश की उपासना करें।
- इसके बाद चन्द्रमा के उदय होने पर शंख में दूध, दूर्वा, सुपारी, गंध, अक्षत से भगवान श्रीगणेश, चंद्रदेव और चतुर्थी तिथि को अर्ध्य दें।
- इस प्रकार बहुला चतुर्थी (Bahula Chaturthi 2021) व्रत के पालन से सभी मनोकामनाएं पूरी होने के साथ ही व्रती (व्रत करने वाला) के व्यावहारिक व मानसिक जीवन से जुड़े सभी संकट, विघ्न और बाधाएं समूल नष्ट हो जाते हैं।
- यह व्रत संतान दाता तथा धन को बढ़ाने वाला है।
बहुला चतुर्थी व्रत से लाभ
- संकट चतुर्थी व्रत करने व्यक्ति को इच्छित सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
- इस व्रत को करने से शारीरिक तथा मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।
- यह व्रत निःसंतान को संतान का सुख देता है।
- इस व्रत को करने से धन-धन्य की वृद्धि होती है।
- व्रत करने से व्यावहारिक तथा मानसिक जीवन से सम्बन्धित सभी संकट दूर हो जाते हैं।
- व्रती स्त्री को पुत्र, धन, सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
- संतान के ऊपर आने वाले कष्ट दूर हो जाते है।