सार
वैशाख मास की पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima 2022) का पर्व भी मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 16 मई, सोमवार को है। ऐसा कहा जाता है कि इसी तिथि पर बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
उज्जैन. कुछ धर्म ग्रंथों में बुद्ध को भगवान विष्णु का अवतार भी बताया गया है। हालांकि इसे लेकर कई मत हैं। गौतम बुद्ध ने अपने जीवन में अनेक क्षेत्रों की यात्रा की और इस दौरान उन्होंने लोगों को धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। उनका उपदेश आज भी हमें सही मार्ग दिखाते हैं। बुद्ध के भ्रमण काल के दौरान कई ऐसी घटनाएं हुई जो हमें भी सोचने के लिए मजबूर कर देती हैं और जीवन जीने की कला सिखाती है। आज हम आपको एक ऐसी ही घटना के बारे में बता रहे हैं, जो इस प्रकार है…
जब एक सुंदर स्त्री ने बुद्ध को भोजन के लिए बुलाया
एक बार गौतम बुद्ध एक गांव में रुके। उस गांव के लोग उनकी सेवा करने लगे। कुछ दिनों बाद उनसे मिलने वहां एक स्त्री आई और उसने बुद्ध से पूछा कि “ आपने इतनी कम उम्र में संन्यास का मार्ग क्यों चुना?”
बुद्ध ने बहुत ही विनम्रता से उसे उत्तर दिया कि “अभी हमारा शरीर युवा और आकर्षक है, पर जल्दी ही बूढ़ा होगा और अंत में इसकी मृत्यु हो जाएगी। मुझे वृद्धावस्था, बीमारी और मृत्यु के कारणों का ज्ञान प्राप्त करना है। इसीलिए मैंने संन्यास का मार्ग चुना।’’
उस स्त्री ने बुद्ध से और भी कई प्रश्न किए और उनके उत्तरों से संतुष्ट होकर बुद्ध को भोजन के लिए अपने घर पर निमंत्रित किया।
ये बात धीरे-धीरे पूरे गांव में फैल गई। सभी गांव वासी मिलकर बुद्ध के पाए आए और उनके कहा कि “आप उस स्त्री के घर भोजन करने न जाएं।”
उनकी बात सुनकर पहले तो बुद्ध को आश्चर्य हुआ और फिर उन्होंने इसका कारण पूछा।
गांव वालों ने बुद्ध को बताया कि वह स्त्री चरित्रहीन है। बुद्ध ने गांव के मुखिया से पूछा कि “क्या गांव वाले सत्य बोल रहे हैं?” मुखिया ने भी गांव वालों की बात का समर्थन किया।
इसके बाद बुद्ध ने मुखिया का एक हाथ पकड़ा और कहा कि “अब आप एक हाथ से थाली बजाकर दिखाइए।”
मुखिया ने कहा कि “ये तो असंभव है, भला एक हाथ से कैसे ताली बजाई जा सकती है?”
बुद्ध ने कहा कि “जिस प्रकार एक हाथ से ताली नहीं बज सकती, उसी तरह एक स्त्री स्वयं चरित्रहीन कैसे हो सकती है, जब तक कि गांव के पुरुष चरित्रहीन न हो।”
बुद्ध की बात सुनकर गांव वाले लज्जित हो गए और उन्हें अपनी गलती का अहसास भी हुआ।
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