सार
कई बार ऐसी परिस्थिति बन जाती है कि शव का अंतिम संस्कार करने में समय लग जाता है। इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे मृतक के परिजनों को आने में समय लग सकता है या किसी की मृत्यु यदि सूर्यास्त के बाद हुई तो अगली सुबह तक शव का दाह संस्कार नहीं किया जा सकता। इन सभी परिस्थितियों में एक बात का ध्यान जरूर रखा जाता है कि शव को अकेला नहीं छोड़ा जाता। कोई-न-कोई व्यक्ति शव के पास जरूर रहता है।
उज्जैन. हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद शव से जुड़ी कई बातों का विशेष ध्यान रखा जाता है, जैसे मृतक के शव को अकेला न छोड़ना। इसके पीछे कई कारण हैं। कुछ कारण तो हमारे धर्म ग्रंथों में भी बताए गए हैं। गरुड़ पुराण में भी इस संबंध में विस्तार पूर्वक बताया गया है। 18 पुराणों में गरुड़ पुराण का अपना एक विशेष महत्व है। इसके अधिष्ठातृदेव भगवान विष्णु है। गरूड़ पुराण में विष्णु-भक्ति का विस्तार से वर्णन किया गया है। आगे जानिए क्या है इससे जुड़ी खास बातें…
1. गरुड़ पुराण (Garuda Purana) के अनुसार, रात में मृत शरीर को अकेला छोड़ना परेशानी की वजह बन सकता है। मान्यता है कि रात में नकारात्मक शक्तियां (Negative energy) सक्रिय रहती हैं, ऐसी में वे मृतक के शरीर में प्रवेश करने की कोशिश करती हैं। इसलिए रात में शव को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए।
2. शव को अकेला इसलिए भी नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि मरने के बाद मृतक की आत्मा वहीं शव के आसपास रहती है। ऐसे में जब वो अपने परिजनों को शव को अकेला छोड़ते देखती है तो उसे दुख होता है।
3. शव को अकेला छोड़ देने से उसके आसपास कीड़े व अन्य जानवर आने लगते हैं। इनसे बचाने के लिए भी शव को कभी अकेला नहीं छोड़ा जाता। ये छोटे-छोटे कीड़े शव को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
4. कुछ लोग शव के अंगों या बालों का उपयोग तांत्रिक क्रियाएं में भी करते हैं। जिसकी वजह से मृतक की आत्मा को मोक्ष नहीं मिल पाता। इस कारण किसी न किसी व्यक्ति को शव के पास ही रहना चाहिेए।
5. यदि ज्यादा देर तक शव रखा रहे तो शव से निकलने वाली गंध के चलते कई तरह के बैक्टीरिया पनपने लगते हैं और मक्खियां भी भिनभिनाने लगती हैं। इसलिए शव के आसपास बैठकर अगरबत्ती वगैरह जलाते रहना चाहिए।
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