सार

हिंदू धर्म में कई तरह की मान्यताएं और परंपराएं हैं। इनमें से कुछ मान्यताएं तीज-त्योहारों से भी जुड़ी है। होली (Holi 2022) भी हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस बार 17 मार्च को होलिका दहन (Holika Dahan) किया जाएगा। इसके पहले 8 दिनों तक होलाष्टक रहेगा। 

उज्जैन. होली के 8 दिन पहले शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है। इसे होलाष्टक (holashtak 2022) कहते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से अर्थात रंग खेलने वाली होली से 8 दिन पूर्व ही होलाष्टक शुरू हो जाते हैं। पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के अनुसार, होलाष्टक (holashtak 2022) के कारण 10 मार्च से लेकर 17 मार्च तक सभी शुभ कामों को करने की मनाही रहेगी। जानिए इन दिनों में क्या करें, क्या नहीं, साथ इन मान्यताओं से जुड़ी खास बातें…


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होलाष्टक के दौरान क्या कर सकते हैं…
1.
होलाष्टक के दौरान विष्णु भक्त प्रहलाद ने स्वयं भगवान विष्णु की आराधना की थी और स्वयं भगवान ने उनकी सहायता की थी। इसलिए होलाष्टक के दौरान भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।
2. साथ ही पवित्र नदियों में स्नान, जरूरतमंदों को दान और अपने ईष्ट देवताओं को प्रसन्न करने के लिए मंत्र जाप भी होलाष्टक के दौरान करना चाहिए। 
3. होलाष्टक के दौरान अधिक से अधिक भगवत भजन और वैदिक अनुष्ठान, यज्ञ करने चाहिए ताकि समस्त कष्टों से मुक्ति मिल सके। 
4. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होलाष्टक में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से उसे हर तरह के रोग और कष्टों से छुटकारा मिलता है और उनका स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।

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होलाष्टक में क्या करने से बचना चाहिए?

होलाष्टक के इन 8 दिनों के दौरान मुख्य तौर पर विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन और अन्य शुभ कामों को करने की मनाही होती है। इसके अलावा कोई नया घर, वाहन आदि खरीदना, बिजनेस आदि भी इस दौरान शुरू नहीं किया जाता।

मान्यता: क्यों नहीं किए जाते शुभ कार्य?
माना जाता है कि इन 8 दिनों में राजा हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रहलाद को भगवान विष्णु की भक्ति से हटाने के लिए विविध यातनाएं दी थीं। लेकिन विष्णु जी की कृपा से प्रहलाद ने हर कष्ट झेला। तब हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से मदद ली। होलिका को आग में ना जलने का वरदान प्राप्त था, जिस कारण वो प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठ गई। लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रहलाद बच गए पर होलिका अग्नि में भस्म हो गई। इसलिए इन आठ दिनों में विष्णु भक्त प्रहलाद के लिए कष्टप्रद समय था, यही कारण है कि होलाष्टक के समय को अशुभ माना जाता है।


 

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