सार

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के दमोह (Damoh) जिले में कुण्डलपुर (Kundalpur) में इन दिनों जैन समाज के लोगों को भारी जमावड़ा देखने को मिल रहा है। कारण है यहां होने वाला कुण्डलपुर महामहोत्सव 2022 (Kundalpur Maha Mahotsav 2022)। ये महोत्सव 12 से 24 फरवरी तक मनाया जाएगा।

उज्जैन. अनुमान लगाया जा रहा है कि कुण्डलपुर महामहोत्सव 2022 (Kundalpur Maha Mahotsav 2022) में जैन समाज के लगभग 20 लाख लोग शिरकत करेंगे। सिद्ध क्षेत्र कुण्डलपुर कमेटी उपाध्यक्ष देवेन्द्र सेठ ने बताया कि मुख्य आयोजन 16 फरवरी से शुरू होंगे जो आगम के अनुसार गुरुदेव आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज (Acharya Shri Vidyasagar Ji Maharaj) के आशीर्वाद से और उनके विशाल समोशरण के सानिध्य में आयोजित किया जा रहा है। 24 फरवरी से 1008 भगवान अदिनाथ (Lord Adinath) बड़े बाबा का मस्तकाभिषेक का प्रारम्भ होगा जो फाल्गुन माह की अष्टान्हिका पर्व तक प्रतिदिन धार्मिक रीति से कोविड गाइड लाइन का पालन करते हुए किया जाएगा।

क्यों खास है कुण्डलपुर?
कुण्डलपुर को जैने धर्म में सिद्ध क्षेत्र माना गया है क्योंकि यह अन्तिम श्रुत केवली श्रीधर केवली की मोक्ष स्थली है। साथ ही यहां पहाड़ी पर श्री 1008 आदिनाथ भगवान की विशाल प्रतिमा स्थापित है। माना जाता है कि ये प्रतिमा लगभग 1500 साल पुरानी है। भगवान आदिनाथ की पद्मासन लगाए इस प्रतिमा को बड़े बाबा कहा जाता हैं। वैसे तो कुण्डलपुर में 63 जैन मंदिर है, लेकिन इन सभी में बड़े बाबा का मंदिर सबसे प्राचीन माना जाता है। एक शिलालेख के अनुसार विक्रम संवत् 1757 में यह मंदिर भट्टारक सुरेन्द्रकीर्ति द्वारा खोजा गया था। तब यह मंदिर जीर्ण शीर्ण हालत में था। तब बुंदेलखंड के शासक छत्रसाल की मदद से मंदिर का पुनः निर्माण कराया गया था।

भागने पर मजबूर हो गया था औरंगजेब
कहा जाता है कि मुगल काल के दौरान औरंगजेब बड़े बाबा की प्रतिमा को नुकसान पहुंचाने के लिए कुंडलपुर पहुंचा था। जैसे ही उसने बड़े बाबा की प्रतिमा के पैर में तलवार से हमला किया उसमें से दूध की धार निकली और अचानक ही मधुमक्खियों ने औरंगजेब और उसकी पूरी सेना पर हमला कर दिया। मधुमक्खियों का हमला इतना ताकतवर था कि औरंगजेब को वहां से उल्टे पैर भागना पड़ा था। 

बन रहा है विशाल मंदिर
5 अरब की लागत से बन रहा बड़े बाबा का ये मंदिर नागर शैली का ये मंदिर दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर होगा। इसके निर्माण में 12 लाख घन मीटर पत्थर का उपयोग किया जाएगा। अभी तक साढ़े 3 सौ करोड़ रुपए खर्च हो चुका है। मंदिर के शिखर की ऊंचाई 189 फीट तय की गई है। कुंडलपुर मेला मार्च के महीने में होता है, जो जैनियों की वार्षिक सभा से शुरू होता है, होली के तुरंत बाद और एक पखवाड़े तक चलता है। 

कैसे पहुंचें?
आसपास के शहरों में दमोह (35 किमी), सागर (113 किमी), जबलपुर (143 किमी) शामिल हैं। निकटतम रेलवे स्टेशन दमोह है जो कुंडलपुर बस स्टैंड से 38 किमी दूर है। निकटतम हवाई अड्डा जबलपुर (150 किमी) में डुमना हवाई अड्डा है।


 

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