सार

इस बार 1 मार्च, मंगलवार को महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2022) का पर्व मनाया जाएगा। इस अवसर पर सद्गुरु जग्गी वासुदेव (Jaggi Vasudev) के ईशा योग केंद्र (Isha Yoga Center) में विशेष आयोजन किए जाएंगे। 1 मार्च की शाम 6 बजे से यहां महोत्सव शुरू होगा और अगली सुबह 6 बजे तक चलेगा।
 

उज्जैन. ईशा योग केंद्र का महाशिवरात्रि महोत्सव (Mahashivratri Festival of Isha Yoga Center) सोशल मीडिया पर ऑनलाइन लाइवस्ट्रीम किया जाएगा। इस कार्यक्रम को अंग्रेजी, तमिल, हिंदी, तेलुगू, कन्नड़, मराठी सहित 16 भाषाओं प्रसारित किया जाएगा। इस कार्यक्रम में कई जाने-माने कलाकार प्रस्तुतियां देंगे। इस कार्यक्रम में शामिल होने वाले लोगों को प्राण प्रतिष्ठित रुद्राक्ष भी दिए जाएंगे। 1 मार्च को महाशिवरात्रि से शुरू होने वाला ये महोत्सव 8 मार्च तक चलेगा। इस दौरान कई आध्यात्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।

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भक्तों के प्रवेश पर रहेगी रोक
ईशा योग केंद्र के इस महाशिवरात्रि महोत्सव में कोरोना प्रोटोकॉल की वजह से भक्तों के प्रवेश पर रोक रहेगी, सिर्फ आमंत्रित व्यक्ति ही इसमें प्रवेश पा सकेंगे। पूरा कार्यक्रम टीवी और सोशल मीडिया पर देखा जा सकेगा। यह महोत्सव रात भर चलेगा। यहां संगीत और डांस भी होंगे। जिसमें पेपोन, मास्टर सलीम, हंसराज रघुवंशी, मंगली और शॉन रोल्डन आदि कलाकार ईशा फाउंडेशन के बैंड साउंड्स ऑफ ईशा के साथ प्रस्तुतियां देंगे।
 

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नि:शुल्क बांटे जाएंगे रूद्राक्ष
जो लोग महाशिवरात्रि समारोह में ऑनलाइन या ईशा योग केंद्र में हिस्सा लेंगे, उन्हें प्राण-प्रतिष्ठित रुद्राक्ष नि:शुल्क बांटे जाएंगे। महाशिवरात्रि की रात रीढ़ की हड्डी को सीधी रखते हुए पूरी रात जागते रहना और जागरूक रहना, शारीरिक और आध्यात्मिक जीवन के लिए बहुत फायदेमंद होता है। महाशिवरात्रि, 1 मार्च के आयोजनों के बाद सात दिनों तक यानी 8 मार्च तक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। यहां आने भक्तों को भोजन प्रसादी दी जाएगी।
 

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कौन हैं सद्गुरु जग्गी वासुदेव?
सद्गुरु का असली नाम सद्गुरु जग्गी वासुदेव उनके बचपन का नाम जगदीश है। सद्गुरु का जन्म 3 सितंबर 1957 को मैसूर कर्नाटक में हुआ। जग्गी वासुदेव एक लेखक भी हैं जिन्होंने 100 से भी ज्यादा पुस्तकें लिखी है इन्हें भारत सरकार की तरफ से 2017 में पदम विभूषण अवार्ड से भी सम्मानित किया गया। ईशा फाउंडेशन (Isha Foundation) तमिलनाडु एक आध्यात्मिक संगठन है, जिसे आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने 1992 में नेतृत्व किया। इस संगठन के करीब 20 लाख स्वयंसेवकों, योग, पर्यावरण और सामाजिक कार्य के क्षेत्र में सक्रिय हैं।

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