Ambubachi Mela 2022: खुले मां कामाख्या मंदिर के कपाट, भक्तों को मिला ये अनोखा प्रसाद

असम (Assam) के गोवाहाटी (Guwahati) में स्थित प्रसिद्धि कामाख्या मंदिर (Kamakhya Temple) के पट खुल चुके हैं और इसी के साथ अंबुवाची मेले (Ambubachi Mela 2022) का समापन भी हो चुका है।

उज्जैन. आपको बता दें कि श्री कामाख्या देवी का अंबूवाची मेला 22 जून से आरंभ हुआ था। उसी दिन से मंदिर के कपाट बंद थे। मंदिर के कपाट बंद करन से पहले महामुद्रा यंत्र पर वस्त्र चढ़ाए गए थे जो मंदिर खुलने के बाद प्रसाद रूप में भक्तों के बीच वितरित किया गया। उल्लेखनीय है कि 52 शक्तिपीठों (52 Shaktipeeth) में से एक कामाख्या देवी मंदिर जो नील पर्वत पर गुवाहाटी में स्थित है। मंदिर में माता का विग्रह श्री महामुद्रा यंत्र के रूप में स्थापित है। मान्यता है कि माता का यह मंदिर भगवान श्री राम और श्री कृष्ण से भी पुराना है। काशी में श्री कामाख्या मंदिर स्थापित होने का वर्णन भविष्य पुराण में भी मिलता है।

क्यों खास है देवी को चढ़ाया गया वस्त्र?
कामाख्या मंदिर की प्रमुख विशेषताएं में यहां दिया जाने वाला अनोखा प्रसाद है। यहां भक्तों को प्रसाद के रूप मं लाल रंग का गीला कपड़ा दिया जाता है। अंबुवाची मेला शुरू होने से पहले गर्भगृह में महामुद्रा के आस-पास सफ़ेद वस्त्र बिछा दिए जाते हैं, तीन दिन बाद जब मंदिर के पट खोले जाते हैं तब यह वस्त्र माता के रज से लाल हो जाते है। इस वस्त्र को अम्बुवाची वस्त्र कहते हैं। बाद में इसे क्तों में प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। कहते हैं इस वस्त्र को पूजा स्थान पर रखने या हाथ पर बांधने से सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। तंत्र-मंत्र में भी इस कपड़े का विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है।

तंत्र-मंत्र के लिए प्रसिद्ध है कामख्या मंदिर
कामाख्या मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक है। मान्यता के अनुसार, इसी स्थान पर देवी सती का योनी भाग गिरा था। जिसे महामुद्रा कहा जाता है। ये स्थान तंत्र-मंत्र के लिए जाना जाता है। देश के कोने-कोने से तांत्रिक यहां आकर साधना करता है। गुप्त नवरात्रि, अंबुवाची मेला व अन्य विशेष अवसरों पर यहां स्थित श्मशान में ऐसे नजारे देखने को मिलते हैं जो किसी को भी डरा सकते हैं। 

कैसे पहुंचें कामाख्या मंदिर? (How to reach Kamakhya Temple)
- कामाख्या देवी मंदिर से सबसे नजदीक में गुवाहाटी इंटरनेशनल एयरपोर्ट है, जहां से कामाख्या मंदिर की दूरी करीब 20 किमी. है।
- कामाख्या देवी मंदिर के नजदीक में स्थित रेलवे स्टेशन कामाख्या ही है, जो कामाख्या मंदिर परिसर से मात्र 6 किमी. की दूरी पर स्थित है। 
- गुवाहाटी के लिए डायरेक्ट बस नहीं मिलती है, तो आप सबसे पहले पश्चिम बंगाल जा सकते हैं। पश्चिम बंगाल के प्रसिद्ध शहर कोलकाता, मालदा, नई जलपाईगुड़ी और हावड़ा आदि से गुवाहाटी के लिए आसानी से बस मिल जाएगी।


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