ये 5 काम करने वालों को जीवन में कभी-ना कभी करना पड़ता है बड़ी समस्याओं का सामना

प्राचीन भारत में अनेक विद्वान हुए, उनमें से भर्तृहरि भी एक थे। ये किसी समय उज्जियनी यानी वर्तमान उज्जैन के राजा था, लेकिन इनके जीवन में एक ऐसी घटना घटी, जिसके बाद इन्होंने राज-पाठ छोड़ दिया और वैराग्य को अपना लिया। इन्होंने कठिन तपस्या कर कई सिद्धियां प्राप्त की।

उज्जैन. वैराग्य जीवन के दौरान भर्तृहरि ने नीति शतकम्, वैराग्य शतकम्, श्रृंगारशतक आदि ग्रंथों की रचना की थी। नीति शतकम् में जीवन को सुखी और सफल बनाने के सूत्र बताए गए हैं। ये सूत्र आज के समय में भी प्रासंगिक हैं। नीति शतक में मनुष्यों की कुछ बुरी आदतों के बारे में बताया गया है, जो भविष्य में परेशानी का कारण बन सकती हैं। आज हम आपको उन्हीं बुरी आदतों के बारे में बता रहे हैं…

1. दया न करना
दया न करना पशुओं की निशानी माना गया है। धर्म ग्रंथों में कहा गया है कि दया करना मनुष्य होने की प्रथम निशानी है। यानी जिस व्यक्ति के मन में दया का भाव नहीं होता, वह पूर्णता मनुष्य नहीं होता। ऐसे लोग अपनी इस आदत के कारण कभी-न-कभी परेशानी में अवश्य फंसता है और उस समय उसकी कोई सहायता भी नहीं करता। इसलिए मन में दया की भावना जरूर होना चाहिए।

2. अकारण शत्रु बनाना
कुछ लोगों की आदत होती है कि छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा हो जाते हैं और लोगों को अपना दुश्मन मानने लगते हैं। ऐसे लोग अपने विरुद्ध कोई बात नहीं सुनते और कहने वाले को दुश्मन मानकर कार्यवाही करने लगते हैं। ऐसे लोग सभ्य समाज में रहते हुए भी उससे अलग होते हैं। इनकी यही आदत इन्हें परेशानी में डाल सकती है।

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3. पराए धन को पाने की कोशिश करना
दूसरे के धन पर नजर रखना ठीक नहीं होता। जो व्यक्ति ऐसा करता है, उसके साथ ज्यादा मेल-जोल नहीं बढ़ाना चाहिए। ऐसे धन को पाने के लिए कुछ लोग गलत काम करने से भी नहीं हिचकते। कई बार ये लोग कामयाब भी हो जाते हैं, लेकिन भविष्य में कभी न कभी इन्हें परेशानियों से सामना करना पड़ता है। 

4. मित्रों और परिवार की मदद न करना
कुछ लोग समर्थ होने यानी पैसा, संपत्ति होने के बाद भी अपने मित्रों और परिवार वालों की मदद करने में हिचकते हैं और उनसे दूर भागते हैं। ऐसे लोग जब किसी खुद किसी मुसीबत में फंस जाते हैं तो दूसरों की ओर आश भरी नजरों से देखते हैं, उस समय अन्य लोग भी उनकी मदद को नहीं आते।

5. हमेशा गुस्से में रहना
कुछ लोगों की आदत होती है कि वो हमेशा गुस्से में रहते हैं। इस वजह से न तो उनकी परिवार में किसी से बात बनती हैं और न ही बाहर के लोगों से। ऐसा लोग अपनी इस आदत के कारण कई बार परेशान भी होते हैं। क्रोध बुद्धि और विवेक का सबसे बड़ा शत्रु है इसलिए भूलकर भी क्रोध में आकर गलत काम नहीं करना चाहिए।

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