इस बार 10 नवंबर, बुधवार को छठ पर्व (Chhath Puja 2021) है। इस दिन भगवान सूर्यदेव की विशेष पूजा की जाएगी। सूर्यदेव पंचदेवों में से एक हैं और इन्हें प्रत्यक्ष देवता भी कहा जाता है। सौर मंडल के राजा होने के कारण ये हमारे जीवन पर भी प्रभाव डालते हैं। ज्योतिष में इन्हें आत्मा का कारक ग्रह माना गया है।
उज्जैन. सूर्य पूजा करने से कई तरह के फायदे मिलते हैं। हमारे देश में सूर्यदेव के अनेक मंदिर हैं, इनमें से कुछ खंडहर में तब्दील हो चुके हैं तो कुछ मंदिरों का वैभव आज भी बरकरार है। ऐसा ही एक मंदिर बिहार (Bihar) के पटना (Patna) जिले में है। यह मंदिर दुल्हन बाजार से पांच किलोमीटर दक्षिण एसएच 2 मुख्यालय पथ पर गंगा नदी के किनारे स्थित है। इसे उलार्क सूर्य मंदिर (Ular Sun Temple) कहा जाता है। देश के प्रमुख 12 सूर्य मंदिरों में से ये तीसरे सबसे बड़े सूर्य मंदिर के रूप में जाना जाता है। हर रविवार को यहां काफी संख्या में लोग स्नान कर सूर्य को जल व दूध अर्पित करते हैं।
श्रीकृष्ण के पुत्र सांब से जुड़ी है कथा
इस सूर्य मंदिर के बारे में कई कथाएं प्रचलित हैं, इनमें से एक भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र सांब से भी जुड़ी है। सांब जामवंत की पुत्री जामवंती का पुत्र था। किवदंति है कि एक बार भगवान श्रीकृष्ण ने किसी बात पर नाराज होकर उसे कुष्ठ रोगी होने का श्राप दे दिया था। तब महर्षि कटक ने सांब को कोढ़ से मुक्ति का उपाय बताते हुए सूर्यदेव की उपासना करने को कहा। तब सूर्यदेव ने गंगा नदी के किनारे जिस स्थान पर सूर्यदेव की उपासना की, वहीं पर एक मंदिर का निर्माण भी करवाया, जिसे उलार्क सूर्य मंदिर कहा जाता है। सूर्य उपासना से सांव पुन: रूपवान हो गया।
संत अलबेला ने करवाया था जीर्णोद्धार
कहते हैं कि औरंगजेब ने इस मंदिर को तोड़ दिया था, बाद में सन 1950-54 में संत अलबेला बाबा ने मंदिर का जीर्णोंद्धार कराया। खुदाई में काले पत्थर की पालकालीन खंडित मूर्तियां मिलीं जिनकी पूजा होने लगी। बाबा के बाद उनके शिष्य रहे महंत अवध बिहारी दास मंदिर की देखरेख कर रहे हैं। यहां प्रमुख अवसरों जैसे छठ, मकर संक्रांति के अलावा हर रविवार को भारी भीड़ उमड़ती है। सूर्य की उपासना करने के लिए यहां दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर में जो भी मनोकामना मांगी जाती है वो पूर्ण होती है।
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