Devshayani Ekadashi 2022: कब है देवशयनी एकादशी, क्यों खास है ये तिथि? जानिए इससे जुड़ी कथा

धर्म ग्रंथों के अनुसार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi 2022) कहते हैं। इस बार ये एकादशी 10 जुलाई, रविवार को है।
 

उज्जैन. साल में आने वाली 24 एकादशियों में इसका महत्व काफी अधिक माना गया है, इसके पीछे इस तिथि से जुड़ी कुछ खास मान्यताएं हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार, देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु चार महीनों के लिए पाताल लोक में विश्राम करते हैं, इस दौरान सृष्टि का संचालन भगवान शिव करते हैं। देवशयनी एकादशी से ही मांगलिक कार्यों जैसे विवाह आदि पर भी रोक लग जाती है, जो देवप्रबोधिनी एकादशी तक रहती है। हालांकि मांगलिक कार्यों की तैयारी और खरीदारी इन दिनों में की जा सकती है। भगवान विष्णु के लिए इस तिथि पर व्रत किया जाता है। एकादशी पर विष्णु के साथ ही देवी लक्ष्मी की भी पूजा करनी चाहिए। आगे जानिए इस एकादशी से जुड़ी कथा…

इसलिए चार महीने तक भगवान विष्णु रहते हैं पाताल में (Devshayani Ekadashi 2022 Katha)
- धर्म ग्रंथों के अनुसार, एक बार दैत्यों के राजा बलि ने तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया। ये देख सभी देवी-देवता भगवान विष्णु के पास गए और उस परेशानी से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की। 
- तब भगवान विष्णु वामन रूप लेकर राजा बलि से भिक्षा मांगने गए। भगवान वामन ने राजा बलि से तीन पग धरती मांगी। बलि के हां करते ही भगवान वामन में अपना शरीर इतना बड़ा कर लिया कि एक पग में धरती और दूसरे में आकाश नाप दिया। 
- अब तीसरे पग के लिए कोई जगह नहीं बची तो राजा बलि से वामन देवता ने पूछा कि “तीसरा पग में कहां रखूं”। तब राजा बलि ने अपना सिर आगे कर दिया। प्रसन्न होकर भगवान ने उसे पाताल लोक का राजा बना दिया और वरदान मांगने को कहा। 
- तब बलि ने भगवान से कहा कि “आप भी मेरे साथ पाताल में निवास कीजिए।” बलि की बात मानकर भगवान विष्णु को भी पाताल जाना पड़ा। ऐसा होने से सभी देवता और देवी लक्ष्मी परेशान हो गई।
- तब अपने पति को वापस लाने के लिए देवी लक्ष्मी एक गरीब स्त्री के रूप में राजा बलि के पास गई और रक्षा सूत्र बांधकर उन्हें अपना भाई बना लिया। इसके बाद उन्होंने भगवान विष्णु को वापस ले जाने का वरदान भी बलि से ले लिया।
- भगवान विष्णु ने राजा बलि को ये वरदान दिया की प्रतिवर्ष आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक पाताल में ही निवास करेंगे और इन 4 महीने की अवधि को उनकी योगनिद्रा माना जाएगा। 

ये भी पढ़ें-

Guru Purnima 2022: 13 जुलाई को 4 शुभ योगों में मनाया जाएगा गुरु पूर्णिमा पर्व, इसलिए मनाते हैं ये उत्सव


Guru Purnima 2022: इस बार कब मनाया जाएगा गुरु पूर्णिमा पर्व, क्यों मनाया जाता है ये उत्सव?

Jagannath Rath Yatra 2022: ऐसा है जगन्नाथ मंदिर का इतिहास, जानिए किसने करवाया निर्माण और किसने तोड़ा इसे?

 

Share this article
click me!

Latest Videos

'चुनाव में उस वक्त ही हार गई थी भाजपा जब...' फिर चर्चा में आई यूपी उपचुनाव की एक घटना #Shorts
Kharmas 2024: दिसंबर में कब से लग रहे हैं खरमास ? बंद हो जाएंगे मांगलिक कार्य
'भविष्य बर्बाद न करो बेटा' सड़क पर उतरे SP, खुद संभाला मोर्चा #Shorts #Sambhal
जय भवानी' PM Modi बोले- महाराष्ट्र में सुशासन और विकास की जीत, झूठ-छल-फरेब की हुई हार
Sambhal Jama Masjid: संभल में क्या है जामा मस्जिद सर्वे से जुड़ा विवाद? 10 प्वाइंट में समझें सबकुछ