सार

वैसे तो हमारे देश में भगवान श्रीकृष्ण के अनेक मंदिर है, लेकिन इनमें से कुछ बहुत खास हैं। जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Temple Facts) भी इनमें से एक है। ये मंदिर उड़ीसा के समुद्र तट के किनारे बसे पुरी में स्थित है। ये मंदिर हिंदुओं के प्रमुख चार धामों में से एक है।

उज्जैन. पुरी के जगन्नाथ मंदिर से जुड़े कई ऐसे रहस्य है, जिसके बारे में आज तक कोई जान नहीं पाया है। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है हर साल निकाली जाने वाली रथयात्रा (Jagannath Rath Yatra 2022)। इस रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा का रथ होता है। 10 दिनों तक चलने  वाले इस आयोजन में लाखों भक्त शामिल होते हैं। यह मंदिर गौड़ीय वैष्णव सम्प्रदाय के लिये खास महत्व रखता है। इस पंथ के संस्थापक श्री चैतन्य महाप्रभु कई सालों तक पुरी में रहे भी थे। पुरी एक ऐसा स्थान है जिसे हजारों वर्षों से कई नामों - नीलगिरी, नीलाद्रि, नीलाचल, पुरुषोत्तम, शंखश्रेष्ठ, श्रीश्रेष्ठ, जगन्नाथ धाम, जगन्नाथ पुरी से जाना जाता है। आगे जानिए मंदिर से जुड़ी खास बातें…

मंदिर का इतिहास
जगन्नाथ मंदिर की कथाएं पौराणिक काल से जुड़ी हुई हैं, लेकिन मंदिर के वर्तमान स्वरूप के बारे में ताम्र पत्रों से पता चलता है। उसके अनुसार इस मंदिर का निर्माण कलिंग राजा कलिंग राजा अनन्तवर्मन चोडगंग देव ने आरम्भ कराया था। इसके बाद सन 1198 में राजा अनंग भीम देव ने इस मन्दिर को वर्तमान रूप दिया था। सन 1558 में विदेश आक्रांताओं ने ओडिशा पर हमला किया और मंदिर का विध्वंस कर दिया। उस समय देव प्रतिमाओं को किसी गुप्त स्थान पर छिपाकर रखा गया। इसके बाद राजा रामचन्द्र देब के शासन साल में मंदिर और मूर्तियों की पुनर्स्थापना हुई।

ऐसा है मंदिर का स्वरूप
जगन्नाथ मंदिर का स्वरूप पौराणिक काल की याद दिलाता है। मंदिर कलिंग शैली में निर्मित है। यह मंदिर 214 फीट ऊंचे चबूतरे पर बना है। गर्भगृह में मुख्य देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं। मुख्य मंदिर वक्ररेखीय आकार का है, जिसके शिखर पर विष्णु का सुदर्शन चक्र स्थापित है। इसे नीलचक्र भी कहते हैं। यह अष्टधातु से निर्मित है। मुख्य मंदिर 20 फीट ऊंची दीवार से घिरा हुआ है तथा दूसरी दीवार मुख्य मंदिर को घेरती है। मंदिर के मुख्य द्वार के आस-पास शेरों की प्रतिमाएं हैं। जो इसकी शोभा और बढाती हैं।

कैसे पहुंचें?
- जगन्नाथ मंदिर का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर में है। यहां से जगन्नाथ मंदिर की दूरी करीब 61 किमी है।
- पुरी का रेलवे स्टेशन देश के प्रमुख शहरों से सीधा जुड़ा है। अगर आपके शहर से सीधी रेल सेवा उपलब्ध न हो तो भुवनेश्वर आकर भी आप यहां आसानी से पहुंच सकते हैं।
- पुरी सड़क मार्ग से भी देश के प्रमुख हिस्सों से जुड़ा है। आफ बस या अपनी निजी वाहन से भी आसानी से यहां आ सकते हैं। 

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