Govats Dwadashi 2022: गोवत्स द्वादशी का व्रत करने से मिलती है योग्य संतान, 21 अक्टूबर को करें

Govats Dwadashi 2022: इस बार गोवत्स द्वादशी का पर्व 21 अक्टूबर, शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस दिन गायों और उनके बछड़ों की पूजा विशेष रूप से की जाती है। दीपावली के 2 दिन पहले आने वाला ये पर्व बहुत ही खास माना जाता है।
 

उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को गोवत्स द्वादशी (Govats Dwadashi 2022) का द्वादशी का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 21 अक्टूबर, शुक्रवार को है। इस दिन गाय तथा बछड़ों की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है। यदि गाय और बछड़ा न मिले, तो गीली मिट्टी से उनकी आकृति बनाकर पूजा करने का विधान है। आगे जानिए इस पर्व का महत्व व अन्य खास बातें…

इस दिन कौन-कौन से शुभ योग बनेंगे?
पंचांग के अनुसार 21 अक्टूबर, शुक्रवार को कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी शाम 05.23 तक रहेगी, इसके बाद द्वादशी तिथि रात अंत तक रहेगी। इस दिन मघा नक्षत्र होने से काण नाम का अशुभ योग और पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र होने से सिद्धि नाम का शुभ योग दिन बनेगा। इसके अलावा शुक्ल और ब्रह्म नाम के 2 अन्य योग भी इस दिन बनेंगे।

Latest Videos

इस विधि से करें व्रत (Govats Dwadashi Puja Vidhi)
- गोवत्स द्वादशी की सुबह सबसे पहले व्रती (व्रत करने वाला) को स्नान आदि करने के बाद व्रत- पूजा का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद दूध देने वाली गाय और उसके बछडे़ को माला पहनाकर पूजा करनी चाहिए।
- सबसे पहले गाय के मस्तक परचंदन का तिलक लगाएं। तांबे के बर्तन में पानी, चावल, तिल और फूल मिलाकर नीचे लिखा मंत्र बोलते हुए गाए के पैरों पर डालें-
क्षीरोदार्णवसम्भूते सुरासुरनमस्कृते।
सर्वदेवमये मातर्गृहाणार्घ्य नमो नम:॥
- इसके बाद गाय को अपनी इच्छा अनुसार पकवान खिलाएं और ये मंत्र बोलें-
सुरभि त्वं जगन्मातर्देवी विष्णुपदे स्थिता।
सर्वदेवमये ग्रासं मया दत्तमिमं ग्रस॥
तत: सर्वमये देवि सर्वदेवैरलड्कृते।
मातर्ममाभिलाषितं सफलं कुरु नन्दिनी॥
- इस तरह गाय और बछड़े की पूजा के बाद गोवत्स व्रत की कथा सुनें। पूरा दिन व्रत रखकर रात में अपने इष्टदेव और गौ माता की आरती करें। इसके बाद ही भोजन करें।

गोवत्स द्वादशी का महत्व (Govats Dwadashi Importance)
- हिंदू धर्म में गाय को बहुत ही पवित्र पशु माना गया है। कईं विशेष अवसरों पर गाय की पूजा भी की जाती है। 
- मान्यता है कि गाय में देवताओं का वास होता है। गाय की सेवा और पूजा करने से कई तरह के फायदे भी हमें मिलते हैं। 
- महाभारत के अनुसार, गाय के गोबर और मूत्र में देवी लक्ष्मी का वास होता है। इसलिए पूजा आदि शुभ कार्यों में इनका उपयोग किया जाता है। 
- एक कथा के अनुसार राजा उत्तानपाद और उनकी पत्नी सुनीति ने सबसे पहले ये व्रत किया था। इसके प्रभाव से ही उन्हें भक्त ध्रुव जैसे पुत्र की प्राप्ति हुई। 
- मान्यता है कि ये व्रत करने से योग्य संतान की प्राप्ति होती है और हर तरह सुख-समृद्धि जीवन में बनी रहती है।
 

ये भी पढ़ें-

Diwali 2022: दीपावली की रात श्मशान सहित इन 4 जगहों पर भी लगाएं दीपक, इसके पीछे है बहुत खास वजह

Dhanteras 2022: धनतेरस पर सोना खरीदना क्यों माना जाता है शुभ? जानें इस परंपरा के पीछे की वजह

Diwali 2022: दीपावली की रात भूलकर भी न करें ये 5 काम, देवी लक्ष्मी तुरंत चली जाएंगी आपका घर छोड़कर
 

Share this article
click me!

Latest Videos

राजस्थान में बोरवेल में गिरी 3 साल की मासूम, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी । Kotputli Borewell News । Chetna
LIVE 🔴: रविशंकर प्रसाद ने भाजपा मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया | Baba Saheb |
Delhi Election 2025 से पहले Kejriwal ने दिया BJP की साजिश का एक और सबूत #Shorts
समंदर किनारे खड़ी थी एक्ट्रेस सोनाक्षी सिन्हा, पति जहीर का कारनामा हो गया वायरल #Shorts
पहले गई सीरिया की सत्ता, अब पत्नी छोड़ रही Bashar Al Assad का साथ, जानें क्यों है नाराज । Syria News