Vinayaki Chaturthi 2022: साल का पहला विनायकी चतुर्थी व्रत 6 जनवरी को, ये है पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

साल 2022 का पहला विनायकी चतुर्थी (Vinayaki Chaturthi 2022) व्रत 6 जनवरी, गुरुवार को है। इस दिन भगवान श्रीगणेश की पूजा विशेष रूप की जाएगी अखंड सौभाग्य के लिए सुहागन महिलाएं ये व्रत करती हैं।

उज्जैन. पुराणों का कहना है कि चतुर्थी तिथि पर भगवान श्रीगणेश के साथ शिव-पार्वती और चंद्रमा की पूजा करने से परिवार में समृद्धि बढ़ती है और परेशानियां खत्म होती हैं। गणेश पुराण के अनुसार, चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित है। हर हिंदी महीने में दो चतुर्थी तिथि होती है। एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में। इन दोनों तिथियों भगवान श्रीगणेश के साथ चंद्रमा की  भी पूजा की जाती है और व्रत किया जाता है। आगे जानिए इस व्रत से जुड़ी खास बातें…

पूजा का शुभ मुहूर्त 
- 6 जनवरी सुबह 11:15 मिनट से दोपहर 12:29 मिनट तक
- रात को चंद्रमा उदय होने के बाद पूजा कर सकते हैं

विनायक चतुर्थी पर ऐसे करें पूजा
- सुबह जल्दी उठकर नहाएं और साफ कपड़े पहनें। इसके बाद पूजा और पूरे दिन व्रत रखने का संकल्प लें। पूजन के समय श्रद्धा के अनुसार सोने, चांदी, पीतल, तांबा या मिट्टी की गणेशजी की मूर्ति स्थापित करें। 
- इसके बाद सुगंधित चीजों से भगवान की पूजा और आरती करें। पूजा करते समय ॐ गं गणपतयै नम: मंत्र का जाप करें। फिर गणेशजी की मूर्ति पर सिन्दूर चढ़ाएं। गणेशजी को 21 दूर्वा चढ़ाएं। फिर लड्डुओं का भी भोग लगाएं। 
- इसके बाद ब्राह्मण को भोजन करवाकर दक्षिणा दें। शाम को फिर गणेशजी की पूजा और आरती करें। इसके बाद खुद भोजन कर सकते हैं।

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करें गणेशजी के 12 नामों का जाप
भगवान गणेश के 12 नाम मंत्रों का जाप और पूजा करने के बाद मोदक या लड्डू का प्रसाद भगवान को लगाएं। फिर भक्तों को प्रसाद बांटें। इसके बाद ब्राह्मण भोजन भी करवाएं।
ऊँ सुमुखाय नम:, ऊँ एकदंताय नम:, ऊँ कपिलाय नम:, ऊँ गजकर्णाय नम:, ऊँ लंबोदराय नम:, ऊँ विकटाय नम:, ऊँ विघ्ननाशाय नम:, ऊँ विनायकाय नम:, ऊँ धूम्रकेतवे नम:, ऊँ गणाध्यक्षाय नम:, ऊँ भालचंद्राय नम:, ऊँ गजाननाय नम:।

विनायक चतुर्थी का महत्व
विनायक चतुर्थी पर श्री गणेश की पूजा दिन में दो बार की जाती है। एक बार दोपहर और फिर रात में चंद्रमा उदय होने पर। मान्यता है कि विनायक चतुर्थी के दिन व्रत करने और इस दिन गणेश की उपासना करने से घर में सुख-समृद्धि, आर्थिक संपन्नता के साथ-साथ ज्ञान एवं बुद्धि प्राप्ति होती है। चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा से सभी कार्य सिद्ध होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
 

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