मध्य प्रदेश के इस शहर में है भगवान दत्त का 700 साल पुराना मंदिर, यहां शंकराचार्य और गुरुनानकदेव भी आए थे

धर्म ग्रंथों के अनुसार, अगहन मास की पूर्णिमा पर भगवान दत्तात्रेय (Dattatreya Jayanti 2021) की जयंती मनाई जाती है। इस बार ये पर्व 18 दिसंबर, शनिवार को है। भगवान दत्त को ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों का स्वरूप माना जाता है।

उज्जैन. भगवान दत्तात्रेय में ईश्वर और गुरु दोनों रूप समाहित हैं, इसीलिए उन्हें श्री गुरुदेवदत्त के नाम से भी पुकारा जाता है। हमारे देश में भगवान दत्त के अनेक प्राचीन मंदिर हैं। इनसे जुड़ी कई मान्यताएं भी हैं। ऐसा ही एक मंदिर मध्य प्रदेश के इंदौर में भी है। मान्यता है कि ये मंदिर लगभग 700 साल पुराना है। वैसे तो यहां रोज भक्त दर्शन करने आते हैं, लेकिन विशेष अवसरों पर यहां श्रृद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। आगे जानिए इस मंदिर से जुड़ी खास बातें…
 

होल्कर वंश से भी पुराना है ये मंदिर
भगवान दत्तात्रेय का ये प्राचीन मंदिर इंदौर के कृष्णपुरा की ऐतिहासिक छत्रियों के पास स्थित है। इंदौर होलकर राजवंश की राजधानी रहा है। होलकर राजवंश के संस्थापक सूबेदार मल्हारराव होलकर के आगमन के भी कई वर्ष पहले से दत्तात्रेय मंदिर की स्थापना हो चुकी थी। जगद्गुरु शंकराचार्य सहित कई साधु-संत पुण्य नगरी अवंतिका (वर्तमान में उज्जैन) जाने से पहले अपने अखाड़े के साथ इसी मंदिर के परिसर में रुका करते थे। आगरा से औरंगजेब को चकमा देकर छत्रपति शिवाजी और उसके पुत्र कुछ समय तक संन्यासी वेष में इस मंदिर में रहे।

गुरुनानकदेव भी आए थे यहां
जब श्री गुरुनानकजी मध्य क्षेत्र के प्रवास पर थे तब वे इमली साहब नामक पवित्र गुरुस्थल पर तीन माह तक रुके थे और प्रत्येक दिन नदी के इस संगम पर आया करते थे और दत्त मंदिर के साधु-संन्यासियों से धर्म चर्चा किया करते थे। कभी पीपल, बरगद और गूलर के घने जंगलों के बीच कान्ह, सरस्वती और चंद्रभागा नदियों के संगम पर श्री दत्तात्रेय भगवान के मंदिर का वर्णन मराठाशाही बखर (मोड़ी भाषा) में मिलता है। यहां समर्थ रामदास स्वामी ने साधना की ओर नजदीक ही खेड़ापति हनुमान की स्थापना की। 

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कैसे पहुंचें 
सड़क मार्ग: इंदौर देश के प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग (आगरा-मुंबई) से जुड़ा हुआ है। देश के किसी भी हिस्से से यहां सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचने के बाद ऑटो से भगवान दत्तात्रेय मंदिर पहुंच सकते हैं।
रेलमार्ग: इंदौर जंक्शन होने के कारण यहां रेलमार्ग द्वारा पहुंचना बहुत ही आसान है।
वायुमार्ग: इंदौर को मध्यप्रदेश की व्यावसायिक राजधानी माना जाता है जहां अहिल्याबाई एयरपोर्ट स्थित है।

 

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