इस बार 17 मार्च को होलिका दहन (Holika Dahan 2022) किया जाएगा। ये पर्व हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस पर्व की कथा दैत्यों के राजा हिरण्यकश्यप से जुड़ी है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, जब दैत्यों के राजा हिरण्यकश्यप (Hiranyakashipu) का अत्याचार बहुत बढ़ गया तो भगवान विष्णु (Lord Vishnu) ने नृसिंह अवतार (Narasimha Dwadashi 2022) लेकर उसका वध किया था।
उज्जैन. नृसिंह अवतार को भगवान विष्णु का चौथा अवतार माना जाता है। इस अवतार में भगवान का शरीर आधा शेर और आधा मनुष्य का था। धर्म ग्रंथों के अनुसार, होली के पहले फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि पर भगवान नृसिंह की पूजा करने की परंपरा है। इस बार ये तिथि 15 मार्च, मंगलवार को है। मान्यता है कि भगवान नृसिंह की पूजा से कुंडली और हर तरह के दोष खत्म हो जाते हैं। दुश्मनों पर जीत मिलती है और बीमारियां दूर होती हैं। आगे जानिए भगवान नृसिंह और इस तिथि से जुड़ी खास बातें…
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प्रह्लाद को बचाने भगवान विष्णु ने लिया नृसिंह अवतार
दैत्यों का राजा हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था, लेकिन हिरण्यकश्यप देवताओं का अपना शत्रु मानता था। उसने अपने पुत्र को भगवान की भक्ति से रोकने के कई प्रयास किए, लेकिन वह सफल नहीं हो पाया। अंत में उसने अपने पुत्र प्रह्लाद का वध करने का निर्णय लिया, लेकिन भगवान विष्णु ने अपने भक्त को बचाने नृसिंह रूप में आ गए और हिरण्यकश्यप का वध कर दिया। फिर इन्होंने प्रह्लालाद को अपनी गोद में बैठाकर दुलार किया।
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इस विधि से करें भगवान नृसिंह की पूजा
- नृसिंह पूजा के लिए भी सूर्योदय से पहले उठकर नहाएं और पीले कपड़े पहनें। पीले चंदन या केसर का तिलक लगाएं।
- शुद्ध जल के बाद दूध में हल्दी या केसर मिलाकर अभिषेक करें। इसके बाद भगवान को पीला चंदन लगाएं।
- फिर केसर, अक्षत, पीले फूल, अबीर, गुलाल और पीला कपड़ा चढ़ाएं। इसके बाद पंचमेवा और फलों का नैवेद्य लगाकर नारियल चढ़ाएं और धूप, दीप का दर्शन करवाकर आरती करें।
- इस दिन व्रत करने वाले को भगवान की पूजा के साथ ही श्रद्धा के हिसाब से अन्न, जल, तिल, कपड़े या लोगों की जरूरत के हिसाब से चीजों का दान देना चाहिए। इस दिन व्रत करने वाले के हर तरह के दुख खत्म हो जाते हैं। दुश्मनों पर जीत मिलती है और मनोकामना भी पूरी होती है।
नृसिंह भगवान की पूजा का मंत्र
ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्।
नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्यु मृत्युं नमाम्यहम्॥
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