Indira Ekadashi 2022: धर्म ग्रंथों में एकादशी तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। ये तिथि एक महीने में 2 बार आती है यानी साल में कुल 24 एकादशी का योग बनता है। इन सभी एकादशियों का नाम व महत्व अलग-अलग है।
उज्जैन. इन दिनों श्राद्ध पक्ष चल रहा है, जो 25 सितंबर, रविवार तक रहेगा। इसके पहले 21 सितंबर, बुधवार को श्राद्ध पक्ष की एकादशी तिथि का संयोग बन रहा है। श्राद्ध पक्ष में आने वाली इस एकादशी को इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi 2022) कहा जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस एकादशी पर व्रत और पूजा करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस व्रत में दान का भी विशेष महत्व है।
साल में एक बार ही आती है ये एकादशी
पूरे साल में सिर्फ एक बार ही श्राद्ध पक्ष के दौरान एकादशी का संयोग बनता है, जिसके चलते इस एकादशी का विशेष महत्व है। पितर अपने वंशजों से आशा करते हैं कि वे इस एकादशी पर व्रत-पूजा करें ताकि उसके शुभ फल उन्हें मिल सके और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो। ग्रंथों के अनुसार इंदिरा एकादशी पर विधिपूर्वक व्रत कर इसके पुण्य को पूर्वज के नाम पर दान कर दिया जाए तो उन्हें मोक्ष मिल जाता है और व्रत करने वाले को बैकुण्ठ प्राप्ति होती है।
दान का विशेष महत्व
पद्म पुराण के अनुसार इंदिरा एकादशी का व्रत के साथ-साथ दान का भी विशेष महत्व है। ग्रंथों के अनुसार, जितना पुण्य कन्यादान और हजारों वर्षों की तपस्या से मिलता है, उतना पुण्य इंदिरा एकादशी पर दान करने से प्राप्त हो जाता है। इस दिन घी, दूध, दही और अन्न दान करने का विधान ग्रंथों में बताया गया है। ऐसा करने से पितर संतुष्ट होते हैं और धन लाभ के योग भी बनते हैं।
श्राद्ध भी जरूर करें
इंदिरा एकादशी पर पितरों के श्राद्ध का विशेष महत्व है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, इस एकादशी का महत्व शेष सभी एकादशियों से श्रेष्ठ है, इसलिए इस दिन पितरों के निमित्त श्राद्ध जरूर करना चाहिए। श्राद्ध कर्म दोपहर में करना चाहिए। अगर विधि-विधान से श्राद्ध न कर पाएं तो जलते हुए कंडे पर गुड़-घी, खीर-पुड़ी अर्पित करके धूप दे सकते हैं। अगर ये भी संभव न हो तो जरूरतमंद लोगों को भोजन कराना चाहिए।
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