khatu mela 2022: राजस्थान के खाटू में ही क्यों है भगवान ‘श्याम’ का मुख्य मंदिर? जानिए रोचक कथा

Published : Mar 06, 2022, 11:37 AM IST
khatu mela 2022: राजस्थान के खाटू में ही क्यों है भगवान ‘श्याम’ का मुख्य मंदिर? जानिए रोचक कथा

सार

राजस्थान के सीकर जिले के खाटूश्याम जी मंदिर (Khatushyam) में लक्खी मेला (Lakkhi Mela 2022) आज (6 मार्च, रविवार) से शुरू हो रहा है। ये मेला 15 मार्च तक चलेगा। इस मेले में देशभर से लाखों भक्त पहुंचेंगे। भक्तों की संख्या को देखते हुए प्रशासन ने यहां पुख्ता इंतजाम किए हैं।   

उज्जैन. महाभारत (Mahabharata) के अनुसार, भगवान खाटूश्याम (Lord Khatushyam) का मूल नाम बर्बरीक (Barbarik) है। धर्म की जीत सुनिश्चित करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने दान में उनका शीश मांग लिया था, जिसे उन्होंने हंसते-हंसते दे दिया। प्रसन्न होकर श्रीकृष्ण ने उन्हें वरदान दिया कि कलयुग में भक्त तुम्हें मेरे नाम से ही पुजेंगे। खाटू ग्राम में मंदिर होने से इन्हें खाटूश्याम कहा जाता है।  वैसे तो देश में और भी स्थानों पर भगवान खाटूश्याम के मंदिर हैं, लेकिन मुख्य स्थान यही है। इस स्थान से एक कथा भी जुड़ी है, जो इस प्रकार है…

ये भी पढ़ें- khatu mela 2022: कब से कब तक रहेगा खाटूश्यामजी का लक्खी मेला? जाने से पहले इन बातों का रखें ध्यान

खाटूश्यामजी में ही क्यों पूजे जाते हैं बर्बरीक?
- प्रचलित कथा के अनुसार महाभारत युद्ध के दौरान कटा बर्बरीक का शीश राजस्थान के सीकर जिला मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर स्थित छोटे से कस्बे खाटू में दफनाया गया। एक गाय उस स्थान पर आकर रोजाना अपने स्तनों से दूध की धारा स्वत: ही बहाती थी। 
- लोगों ने जब ये चमत्कार देखा तो इस जगह खुदाई की गई, जिससे यहां एक शीश प्रकट हुआ, जिसे कुछ दिनों के लिए एक ब्राह्मण को सूपुर्द कर दिया गया। एक बार खाटू नगर के राजा को स्वप्न में मन्दिर निर्माण के लिए और वह शीश मन्दिर में सुशोभित करने के लिए प्रेरित किया गया। 
- तब उस स्थान पर मन्दिर का निर्माण किया गया। कार्तिक माह की एकादशी को शीश मन्दिर में सुशोभित किया गया। इस दिन बाबा श्याम के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। 
मूल मंदिर 1027 ई. में रूपसिंह चौहान और उनकी पत्नी नर्मदा कँवर द्वारा बनाया गया था। खाटू कस्बे में बर्बरीक की पूजा श्याम नाम से होने के कारण इस जगह को खाटूश्यामजी भी कहा जाने लगा।

ये भी पढ़ें- पंचग्रही योग में हुई है मार्च की शुरूआत, इस महीने 3 ग्रह बदलेंगे राशि, 4 राशि वालों को होगा फायदा
 

कैसे पहुंचें?
लक्खी मेले में पहुंचने के लिए देशभर से जयपुर पहुंचने के कई साधन आसानी से मिल जाते हैं। जयपुर आने के बाद यहां से खाटूश्याम जी पहुंचने के लिए प्रायवेट कैब ली जा सकती है। जयपुर से कई बसें चलती हैं जो सीधे खाटूश्याम जी तक पहुंचा देती हैं। अगर आप ट्रैन से आना चाहते हैं तो खाटूश्याम जी के धाम का करीबी रेल्व स्टेशन रिंगस है। रिंगस से खाटू धाम करीब 18 किमी दूर है।

 

ये भी पढ़ें ...

31 मार्च तक मकर राशि में रहेगा सौर मंडल का सबसे चमकीला ग्रह, इन 4 राशि वालों की चमकेगी किस्मत


गुजरात के वलसाड़ में है 300 साल पुराना अनोखा मंदिर, यहां होती है मछली की हड्डियों की पूजा

क्या महाभारत युद्ध में शिवजी ने भी दिया था पांडवों का साथ, अर्जुन ने महर्षि वेदव्यास को बताई थी ये अनोखी घटना?


 

 

 

PREV

Recommended Stories

खर मास 2025 में करें ये 5 उपाय, किस्मत चमकते देर नहीं लगेगी
Aaj Ka Panchang 14 दिसंबर 2025: चंद्रमा बदलेगा राशि, बनेंगे 6 शुभ योग, नोट करें अभिजीत मुहूर्त का समय