रामायण से सीखें लाइफ मैनेजमेंट के ये 5 खास सूत्र, यहां छिपा है जिंदगी बदलने का फॉर्मूला

रामायण हिंदुओं का एक प्रमुख पवित्र ग्रंथ है। जिसमें अनुशासन, मर्यादा और कर्तव्यों की शिक्षा दी गई है। रामायण के हर प्रसंग में कुछ-न-कुछ ऐसी बातें जरूर है जिसे देखकर और सीखकर अपने जीवन में पालन करना चाहिए।

उज्जैन. रामायण की सीख से तमाम तरह के तनाव और परेशानियों से बचा जा सकता है। आगे जानिए रामायण से आप लाइफ मैनेजमेंट के कौन-कौन से सूत्र सीख सकते हैं…

1. मर्यादा और अनुशासन
अनुशासन और मर्यादा किसी भी मनुष्य का सबसे अच्छा गुण माना गया है। भगवान राम का व्यक्तित्व मर्यादित और अनुशासन से पूर्ण रहा है। भगवान राम ने अपनी मर्यादाओं और अनुशासन में रहकर जीवन की हर एक जिम्मेदारी का बखूबी निर्वाहन किया है। भगवान राम के इन्हीं दो गुणों को अपने जीवन में उतार कर हम एक अच्छे इंसान बनकर सुख जीवन जी सकते है।

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2. दया और प्रेम का भाव
दयावान बनना और सभी के साथ प्रेम भाव रखना रामायण जैसे महाग्रंथ से सीखा जा सकता है। भगवान राम ने एक साथ कई रिश्तों को दया और प्रेम के भाव में रखकर निभाया है। उन्होंने पुत्र, भाई, पति और एक राजा की जिम्मेदारी प्रेम के भाव में निभाई है। व्यक्ति अगर भगवान राम के इन्हीं दो गुणों को अपनाकर चले तो उसके जीवन में हमेशा खुशहाली और संतोष का भाव रहेगा।

3. विविधता में एकता
अगर सामूहिक रूप में मिलकर किसी पर विजय प्राप्त करनी है तो उसमें एकता बहुत जरूरी है। रामायण में विविधता में एकता कैसे होनी चाहिए इसकी बड़ी सीख देती है। रावण को परास्त करने में भगवान राम की सेना में मनुष्य से लेकर जानवरों समेत कई तरह के लोगों का साथ मिला था। राम समेत चारों भाइयों का अलग-अलग चरित्र होने के बावजूद सभी में एकता थी। विविधता होने के बावजूद अगर एक साथ मिलकर किसी भी समस्या से लड़ते है तो उस पर विजय जरूर प्राप्त होती है।

4. विश्वास
विश्वास किसी भी रिश्ते की सबसे बड़ी पूंजी होती है। भगवान राम ने 14 वर्षों तक वनवास काटकर कैकई को दिए वचन को निभाया। इन सब के बाद भी भगवान राम का सभी भाइयों से बराबर प्रेम था। जहां राम के छोटे भाई लक्ष्मण ने 14 साल तक राम के साथ वनवास काटा था तो वहीं भरत ने अयोध्या के राज पाठ को ठुकरा दिया। यह सब विश्वास और रिश्तों की डोर को मजबूती के लिए प्रेरित करती है। 

5. एक समान आचरण
भगवान राम के व्यक्तित्व से सभी प्राणियों के प्रति एक समान आचरण रखने की सीख देता है। भगवान राम ने कभी भी भेदभाव के साथ किसी से आचरण नहीं किया। उन्होंने हर जाति, उम्र, लिंग और पद के साथ एक जैसा व्यवहार किया। ऐसे में हमे भगवान राम के समानता के गुण से सीखना चाहिए।

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