हर व्यक्ति अपने जीवन में सुख और शांति चाहता है, लेकिन उसके मन में इतने विकार यानी बुरी भावनाएं हैं कि उनके मन में रहते सुख-शांति पाना असंभव सा लगता है। इसलिए सुख-शांति पाने के लिए सबसे पहले मन को निर्मल करना होगा।
उज्जैन. जीवन में सुख-शांति पाने के लिए मन का स्वच्छ होना जरूरी है, तभी अच्छे विचार उसमें जा पाएंगे और जीवन को समृद्धि की ओर लेकर जाएंगे। Asianetnews Hindi Life Management सीरीज चला रहा है। इस सीरीज के अंतर्गत आज हम आपको ऐसा प्रसंग बता रहे हैं जिसका सार यही है अपने मन से सभी बुरी भावनाएं निकाल दें, इसके बाद ही आपके जीवन में सुख-शांति का प्रवेश हो सकेगा।
जब महिला ने संत से पूछा सुख-शांति पाने का मार्ग
एक संत रोज भिक्षा मांगकर अपना जीवन यापन करते थे। एक दिन जब वे भिक्षा मांग रहे थे तो एक महिला खाना लेकर आई। खाना देते हुए उसने संत से पूछा कि “महाराज हमें सुख-शांति पाने के लिए क्या करना चाहिए? हम किस भगवान की पूजा करें, ताकि मन की अशांति दूर हो सके?”
संत ने कहा कि “इन प्रश्नों का उत्तर मैं कल दूंगा।”
अगले दिन संत के स्वागत के लिए महिला ने घर में साफ-सफाई की, खीर बनाई। संत के बैठने के लिए ऊंचा स्थान सजाया। कुछ ही समय बाद संत ने भिक्षा के लिए महिला को आवाज लगाई।
महिला खीर लेकर बाहर आई। उसने संत को अपने घर में आमंत्रित किया और ऊंचे स्थान पर बैठने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि “मैं अंदर नहीं आ सकता।”
संत ने खीर लेने के लिए अपना कमंडल आगे कर दिया। महिला कमंडल में खीर डालने ही वाली थी, तभी उसने देखा कि कमंडल के अंदर गंदा है, उसमें कचरा पड़ा हुआ है। महिला ने कहा कि “महाराज आपका कमंडल तो गंदा है।”
संत ने कहा कि “हां, ये गंदा तो है, लेकिन आप खीर इसी में डाल दीजिए।”
महिला ने कहा कि “नहीं महाराज ऐसे में खीर खराब हो जाएगी। आप मुझे कमंडल दें, मैं इसे साफ कर देती हूं।”
संत ने महिला से पूछा कि “मतलब जब कमंडल साफ होगा, तभी आप इसमें खीर देंगी?”
महिला ने जवाब दिया कि “जी महाराज इसे साफ करने के बाद ही इसमें खीर दूंगी।”
संत ने कहा कि “देवीजी ठीक इसी प्रकार जब तक हमारे मन में काम, क्रोध, लोभ, मोह, बुरे विचारों की गंदगी रहती है, उसमें उपदेश रूपी खीर कैसे डाल सकते हैं। ऐसे अपवित्र मन में उपदेश डालेंगे तो अपना असर नहीं होगा। इसीलिए उपदेश सुनने से पहले हमारे मन को पवित्र करना चाहिए।”
लाइफ मैनेजमेंट
जब तक हमारे मन में क्रोध, लोभ और इच्छाएं हैं, तब तक हमें सुख-शांति नहीं मिल सकती है। हमारा मन लगातार इन इच्छाओं को पूरा करने के लिए बैचेन ही रहेगा। बुरे विचारों का त्याग करेंगे तो हम ज्ञान की बातें ग्रहण कर सकते हैं। पवित्र मन वाले ही सुख-शांति प्राप्त कर सकते हैं।
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