INS Vikrant: इंडियन नेवी के झंडे में बदलाव, यहां लिखा है जल के देवता का नाम, जानें खास बातें

INS Vikrant: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने शुक्रवार को स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत नेवी को सौंपा। इस मौके पर नेवी के नया ध्वज भी मिला। पीएम मोदी ने ये एयरक्राफ्ट कैरियर महाराज शिवाजी को समर्पित किया।

Manish Meharele | Published : Sep 2, 2022 7:54 AM IST / Updated: Sep 02 2022, 04:01 PM IST

उज्जैन. शुक्रवार के देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने एक नया इतिहास रचते हुए स्वदेशी तकनीक से निर्मित स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत (Aircraft Carrier INS Vikrant ) नेवी को सौंपा। इस मौके पर इंडियन नेवी को नया ध्वज (indian navy flag) यानी निशान मिला। पहले नेवी (old navy flag) के ध्वज पर लाल क्रॉस का निशान होता था। इसे हटा दिया गया है। अब बाईं ओर तिरंगा और दाईं ओर अशोक चक्र का चिह्न है। इसके नीचे लिखा है- शं नो वरुण: यानी वरुण हमारे लिए शुभ हों। धर्म ग्रंथों के अनुसार, वरुण वैदिक देवता हैं। इन्हें जल का अधिपति माना गया है। इसलिए नेवी के ध्वज पर भगवान वरुण का नाम लिखा गया है। आगे जानिए वरुण देव से जुड़ी खास बातें…

धर्म ग्रंथों में मिलता है वरुणदेव का वर्णन
कई प्राचीन धर्म ग्रंथों में वरुणदेव के बारे में बताया गया है। ये जल के अधिपति देवता हैं। श्रीमद्भागवतपुराण के अनुसार वरुणदेव की पत्नी का नाम चर्षणी है। वरुणदेव का वाहन मगरमच्छ है। ऋग्वेद के सातवें मंडल में वरुण के लिए सुंदर प्रार्थना गीत मिलते हैं। पुराणों में वरुण कश्यप के पुत्र कहे गए हैं। वरुण का अर्थ ही होता है जल का स्वामी। वरुण के पुत्र पुष्कर इनके दक्षिण भाग में हमेशा रहते हैं। अनावृष्टि के समय भगवान वरुण की पूजा प्राचीन काल से होती आई है।
 

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देवताओं में तीसरे हैं वरुणदेव
देवताओं के तीन वर्गों (पृथ्वी, वायु और आकाश) में वरुण का सर्वोच्च स्थान है। देवताओं में तीसरा स्थान वरुण का माना जाता है। वरुण देवता ऋतु के संरक्षक हैं इसलिए इन्हें ऋतस्यगोप भी कहा जाता था। ऋग्वेद का 7 वाँ मण्डल वरुण देवता को समर्पित है। जब वे किसी मनुष्य पर कुपित होते हैं दण्ड के रूप में जलोदर रोग से पीड़ित करते थे जैसे- पेट में पानी भर जाना आदि।

जब रावण से पराजित हुए वरुणदेव
धर्म ग्रंथों के अनुसार, सर्वप्रथम सभी असुरों को जीतकर राजसूय यज्ञ जलाधीश वरुण ने ही किया था। वरुण पश्चिम दिशा के लोकपाल हैं। पश्चिम समुद्र में इनकी रत्नपुरी विभावरी है। वरुण का मुख्य अस्त्र पाश है। जब रावण विश्व विजय पर निकला तो उसका मुकाबला वरुणदेव से भी हुआ। रावण ने भयंकर युद्ध कर पहले वरुण देव के पुत्रों को पराजित किया और फिर वरुण देव पर टूट पड़ा। रावण से पीड़ित होकर वरुण देव युद्ध छोड़कर ब्रह्मा जी के पास चले गए। 


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