Mahakal Lok: उज्जैन में है सप्त सागर, कहीं चढ़ाते हैं खीर तो कहीं मालपुआ, जानें क्या है ये परंपरा?

Mahakal Lok: उज्जैन मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी है। यहां ऐसी कई परंपराओं का पालन किया जाता है, जो अन्यत्र कहीं देखने को नहीं मिलती। ऐसी ही एक परंपरा है सप्त सागर की यात्रा करने की। ये परंपरा सिर्फ अधिक मास में निभाई जाती है।
 

उज्जैन. 11 अक्टूबर, मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) महाकाल लोक (Mahakal Lok) का लोकार्पण करने उज्जैन आ रहे हैं। महाकाल मंदिर के विस्तारीकरण को ही महाकाल लोक का नाम दिया गया है। इस लोक योजना में लगभग 800 करोड़ रूपए खर्च किए गए हैं। पहले महाकाल मंदिर कुछ हेक्टेयर में था और विस्तारीकरण के बाद ये मंदिर 20 हेक्टेयर में फैल चुका है। उज्जैन को सप्तपुरियों (Sapt Sagar of Ujjain) में से एक कहा जाता है यानी 7 सबसे पवित्र और धार्मिक शहर। उज्जैन में कई धार्मिक परंपराओं का पालन किया जाता है। आज हम आपको एक ऐसी ही धार्मिक परंपरा के बारे में बता रहे हैं।

उज्जैन में की जाती है सप्तसागरों की परिक्रमा
उज्जैन में अलग-अलग स्थानों पर 7 तालाब हैं, जिन्हें सप्त सागर कहा जाता है। इनका वर्णन स्कंद पुराण आदि कई ग्रंथों में मिलता है। वैसे तो यहां प्रतिदिन पूजा-पाठ की जाती है, लेकिन अधिक मास के दौरान एक ही दिन में 7 सप्तसागरों की परिक्रमा करने की परंपरा है। इस दौरान हर तालाब में कुछ खास चीजें चढ़ाई जाती हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से शुभ फल मिलते हैं जीवन के सभी कष्ट भी दूर होते हैं। आगे जानिए किस तालाब (सागर) में कौन-सी चीज चढ़ाई जाती है…

Latest Videos

1. सप्तसागर के अंतर्गत आने वाले पहले सागर का नाम रुद्रसागर है, जो महाकाल मंदिर और हरसिद्धि मंदिर के बीच स्थित है। भक्त यहां नमक, सफेद कपड़े और चांदी के नंदी अर्पित करते हैं।
2. सप्त सागरों में दूसरा है पुष्कर सागर। ये महाकाल मंदिर से कुछ ही दूरी पर नलिया बाखल क्षेत्र में स्थित है। यहां पीले वस्त्र व चने की दाल चढ़ाई जाती है।
3. नई सड़क पर स्थित है क्षीर सागर। यहां साबूदाने की खीर और बर्तन चढ़ाने की परंपरा है।।
4. चौथे सागर का नाम है गोवर्धन। ये निकास चौराहे पर स्थित है। यहां माखन-मिश्री, गेहूं और लाल कपड़े चढ़ाने का विधान है।
5. उज्जैन शहर के लगभग 4 किमी दूर ग्राम उंडासा में  है रत्नाकर सागर। यहां पंचरत्न, महिलाओं के शृंगार की सामग्री और महिलाओं के वस्त्र चढ़ाने की परंपरा है।
6. प्राचीन राम जनार्दन के पास स्थित है विष्णु सागर, भक्त यहां पंचपात्र, ग्रंथ, माला आदि चीजें चढ़ाते हैं।
7. इंदिरा नगर के नजदीक स्थित है पुरुषोत्तम सागर, यहां चलनी और मालपुआ अर्पित करते हैं।    

अधिक मास में ही क्यों करते हैं सप्तसागरों की परिक्रमा?
अधिक मास 3 साल में एक बार आता है। इसे मल मास भी कहते हैं। धार्मिक दृष्टि से इसका विशेष महत्व है। जब भी अधिक मास होता है तो श्रृद्धालु सप्तसागरों की परिक्रमा जरूर करते हैं, मान्यता है ऐसा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। अधिक मास भगवान विष्णु से संबंधित है, इसलिए इस महीने में किए गए धार्मिक कार्यों का फल कई गुना होकर मिलता है। यहीं कारण है कि अधिक मास में सप्त सागरों की परिक्रमा की जाती है।

ये भी पढ़ें-

Mahakal Lok: 11 अक्टूबर को मध्य प्रदेश के हजारों मंदिरों में जलेंगे दीपक, लाइव दिखाया जाएगा पीएम का भाषण


पीएम नरेंद्र मोदी 11 अक्टूबर को आएंगे महाकाल, लेकिन नहीं कर पाएंगे ये खास काम, जानें वजह?

Mahakal Lok Ujjain: क्यूआर कोड स्कैन करते है सुन सकेंगे शिव कथाएं, ये खास ‘एप’ करना होगा डाउनलोड
 

Share this article
click me!

Latest Videos

ममता की अद्भुत मिसाल! बछड़े को बचाने के लिए कार के सामने खड़ी हुई गाय #Shorts
ठिकाने आई Bangladesh की अक्ल! यूनुस सरकार ने India के सामने फैलाए हाथ । Narendra Modi
Hanuman Ashtami: कब है हनुमान अष्टमी? 9 छोटे-छोटे मंत्र जो दूर कर देंगे बड़ी परेशानी
Delhi Election 2025 से पहले Kejriwal ने दिया BJP की साजिश का एक और सबूत #Shorts
पहले गई सीरिया की सत्ता, अब पत्नी छोड़ रही Bashar Al Assad का साथ, जानें क्यों है नाराज । Syria News