Shanishchari Amavasya 2022: ये हैं शनिदेव के 5 प्राचीन मंदिर, अनोखी हैं यहां से जुड़ी मान्यताएं और परंपराएं?

अप्रैल के अंतिम 2 दिन यानी 29 और 30 धार्मिक और ज्योतिषिय दृष्टिकोण से बहुत ही खास रहने वाले हैं। 29 अप्रैल को शनि ग्रह ढाई साल राशि परिवर्तन करेगा यानी मकर से कुंभ में प्रवेश करेगा। वहीं 30 अप्रैल, शनिवार को अमावस्या तिथि होने से शनि अमावस्या (Shanishchari Amavasya 2022) का योग बन रहा है।

उज्जैन. 29 अप्रैल को शनि के राशि परिवर्तन से और 30 को शनिश्चरी अमावस्या होने से ये दोनों ही दिन शनिदेव से संबंधित हैं। इन दोनों दिनों में शनिदेव की पूजा और उपाय करने बहुत ही शुभ रहेगा। शनि अमावस्या पर शनि मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमडे़गी। वैसे तो हमारे देश में शनिदेव के अनेक मंदिर हैं, लेकिन इन सभी में कुछ मंदिर बहुत खास हैं। आज हम आपको ऐसे ही 5 शनि मंदिरों के बारे में बता रहे हैं जहां दूर-दूर से भक्त शनि दोष से मुक्ति पाने आते हैं। ये हैं वो मंदिर…  

शनि शिंगणापुर, महाराष्ट्र
शनि मंदिरों की बात हो तो सबसे पहले महाराष्ट्र के शिंगणापुर में स्थित शनि मंदिर का नाम आता है। ये मंदिर देश ही बल्कि विदेश में भी प्रसिद्ध है। दूर-दूर से लोग यहां शनिदेव के दर्शन करने आते हैं। यह मंदिर महाराष्ट्र के अहमदनगर से लगभग 35 कि.मी. की दूरी पर है। इस मंदिर में शनिदेव की प्रतिमा के ऊपर कोई छत नहीं है यानी खुले आसमान के नीचे एक चबूतरे पर शनिदेव की शिला स्थापित है। जिस गांव में ये मंदिर हैं वहां लोग अपने घरों पर ताले नहीं लगाते। उनकी मान्यता है कि स्वयं शनिदेव उनके घरों की रक्षा करते हैं।

शनि मंदिर, कोसीकलां
शनिदेव का और प्रसिद्ध मंदिर उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में कोसीकलां नामक स्थान पर है। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां परिक्रमा करने से मनुष्य की सारी परेशानियां दूर हो जाती है। एक मान्यता और जो इस मंदिर को खास बनाती है वो ये है कि यहां पर स्वयं भगवान कृष्ण ने शनिदेव को दर्शन दिए थे और ये वरदान दिया था कि जो व्यक्ति यहां आकर मंदिर की परिक्रमा करेगा उसे शनिदेव कष्ट नहीं पहुंचाएंगे।

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शनि मंदिर, उज्जैन
मध्य प्रदेश में धार्मिक नगरी के नाम से पहचाने जाने वाले उज्जैन में शनिदेव का प्राचीन मंदिर है। मंदिर परिसर शनिदेव की प्रतिमा तो है ही साथ ही अन्य ग्रह भी लिंग रूप में स्थापित हैं। इसलिए से नवग्रह मंदिर भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस मंदिर की स्थापना उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने की थी। दूर-दूर से लोग यहां शनिदेव के दर्शन करने आते हैं। मंदिर के समीप ही क्षिप्रा नदी प्रवाहमान है। विशेष अवसरों में यहां भक्तों की उमड़ती है। 

कष्टभंजन हनुमान मंदिर, सारंगपुर
ये मंदिर गुजरात के भावनगर में सांरगपुर नामक स्थान पर है। मूल रूप से ये मंदिर हनुमानजी का है, लेकिन यहां हनुमानजी की प्रतिमा के पैरों में शनिदेव स्त्री रूप में बैठे हैं। इसलिए शनि दोष से पीड़ित लोग भी यहां दर्शन करने आते हैं। इसी वजह से इस मंदिर में सालभर भक्तों की भीड़ लगी रहती हैं। शनिदेव का ऐसा रूप अन्य किसी स्थान पर देखने को नहीं मिलता।

शनि मंदिर, इंदौर
मध्य प्रदेश के इंदौर में शनिदेव का प्राचीन मंदिर हैं। खास बात ये है कि यहां शनिदेव का 16 श्रृंगार किया जाता है। ये मंदिर अपनी प्राचीनता और चमत्कारी किस्सों के लिए प्रसिद्ध है। आमतौर पर शनिदेव की प्रतिमा काले पत्थर की बनी होती है और उस पर कोई श्रृंगार नहीं होता, लेकिन यहां रोज शनिदेव का आकर्षक श्रृंगार किया जाता है और शाही कपड़े भी पहनाए जाते हैं। 

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