Shraddha Paksha 2022: श्राद्ध के लिए श्रेष्ठ है ये नदी, मगर श्राप के कारण जमीन के ऊपर नहीं नीचे बहती है

Published : Sep 13, 2022, 12:23 PM IST
Shraddha Paksha 2022: श्राद्ध के लिए श्रेष्ठ है ये नदी, मगर श्राप के कारण जमीन के ऊपर नहीं नीचे बहती है

सार

Shraddha Paksha 2022: हिंदू धर्म ग्रंथों में श्राद्ध के लिए कई तीर्थों का वर्णन किया गया है। इनमें से गया भी एक है। ये तीर्थ बिहार में स्थित है। यहां फल्गू नदी है जिसके तट पर श्राद्ध करना श्रेष्ठ माना गया है। गया से संबंधित कथा कई ग्रंथों में मिलती है।  

उज्जैन. इन दिनों श्राद्ध पक्ष (Shraddha Paksha 2022) चल रहा है, जो 25 सितंबर तक रहेगा। हिंदू धर्म में श्राद्ध एक अनिवार्य परंपरा बताई गई है। यानी हर गृहस्थ को अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध आवश्यक रूप से करना चाहिए। श्राद्ध के लिए कई प्रसिद्ध तीर्थ स्थान हैं। मान्यता है। ऐसा ही एक तीर्थ है गया। यहां फल्गू नाम नदी के तट पर श्राद्ध करने की परंपरा है। खास बात ये है कि ये नदी पूरी तरह से सूखी है। मान्यता के अनुसार, ये नदी जमीन के अंदर बहती है, इसलिए इसे भूसलिला कहते हैं। ये नदी सूखी क्यों है, इससे संबंधित कथा भी पुराणों में मिलती है, आगे जानिए इस कथा के बारे में…

जब भगवान श्रीराम गया पहुंचे श्राद्ध करने
पौराणिक कथाओं के अनुसार, वनवास के दौरान भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और माता सीता पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध करने के लिए गया पहुंचे। वहां ब्राह्मणों ने उनसे श्राद्ध कर्म के लिए कुछ आवश्यक चीजें लाने को कहा। देवी सीता को वहीं छोड़कर श्रीराम और लक्ष्मण वो सामग्री लेने लक्ष्मण नगर की ओर चल दिए। इधर ब्राह्मण और देवी सीता उनकी प्रतीक्षा करने लगे।

जब देवी सीता ने किया श्राद्ध
जब काफी देर तक श्रीराम और लक्ष्मण नही आए तो देवी सीता को चिंता होने लगी क्योंकि श्राद्ध के लिए श्रेष्ठ समय निकलता जा रहा था। तब ब्राह्मणों के आग्रह करने पर देवी सीता ने ही पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म कर दिया। उन्होंने फल्गू नदी, वटवृक्ष, कौआ, तुलसी, ब्राह्मण और गाय को साक्षी पूरे विधि-विधान से श्राद्ध किया। पितरों ने उनके हाथों से पिंड स्वीकार किया।

जब श्रीराम को बताई उन्होंने पूरी बात
थोड़ी देर बाद भगवान श्रीराम और लक्ष्मण सामग्री लेकर आए तो देवी सीता ने उन्हें पूरी बात सच-सच बता दी। लेकिन प्रभु श्रीराम इस बात को मानने को तैयार नहीं हुए क्योंकि बिना पुत्र के पिंडदान कैसे संभव हो सकता है। ऐसा जानकर उन्होंने देवी सीता की बात मानने से इंकार कर दिया। तब देवी सीता ने फल्गू नदी, तुलसी, कौआ, गाय, वटवृक्ष और ब्राह्मण को श्राद्ध की गवाही देने के लिए कहा।

क्रोधित होकर देवी सीता ने दिया श्राप
जब श्रीराम ने फल्गू नदी, गाय, कौआ, तुलसी और ब्राह्मण से सीता द्वारा पिंडदान की बात पूछी तो सभी ने झूठ बोल दिया। सिर्फ वट वृक्ष ने ही सच कहा। पांचों साक्षी द्वारा झूठ बोलने पर माता सीता ने क्रोधित होकर उन्हें श्राप दिया। 
- देवी सीता ने फल्गू नदी को श्राप दिया कि वह सिर्फ नाम की नदी रहेगी, उसमें पानी नहीं रहेगा। 
- गाय को भोजन के लिए भटकने का श्राप दिया।
- ब्राह्मण को कभी संतुष्ट न होने का श्राप दिया। 
- तुलसी को श्राप दिया कि वह कभी भी गया कि मिट्टी में नहीं उगेगी।
- कौए को हमेशा लड़- झगड़ कर खाने का श्राप दिया। 
- वट वृक्ष को सच बोलने के लिए आशीर्वाद दिया कि उसकी पूजा से लोगों को लंबी आयु प्राप्त होगी।


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